लघुकथा-संग्रह-2019/सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
प्रथम संस्करण : 2019 ई.
ISBN No. : 978-93-85325-0-25-0
लेखक : सुरेंद्र कुमार अरोड़ा
प्रकाशक : राज पब्लिशिंग हाउस
9/5123, , पुराना सीलमपुर (पूर्व), दिल्ली-110031
e-mail: houserajpublishing@gmail.com
मो. 9136184246
अनुक्रम:
1. भूल
2. माता
3. गुलनाज़
4. जलेबी
5. जी साब जी
6. चमक
7. उर्मि
8. गुड लॅक
9. अनुराधा
10. छोटी सी प्रेम कहानी
11. मॉम
12. साधना मैडम
13. पत्थर
14. बैरक
15. गजल
16. वात्सल्य
17. ट्रेन
18. धोखा
19. सफर
20. शुरुआत
21. भूमिका
22. इज्जत
23. हिंदी
24. इंसान
25. सिमटन
26. संवेदना
27. विश्वासघात
28. कबाड़
29. कॉफी का एक सिप
30. अम्मा बाबा का घर
31. अतीत
32. ऊर्जा
33. खिसक गई जमीन
34. गोभी के पराठे
35. कर्तव्य बोध
36. शिकवा
37. बेचारा
38. दलदल
39. पासवर्ड
40. सौंदर्य
41. पगली
42. किशोरी मंच
43. लीला
44. सहृदयता
45. पहिया
46. हिम्मत
47. जश्न
48. गणित
49. विश्वास
50. पिल्ले
51. बेहूदगी
52. ताज़गी
53. प्लीज़ पापा
54. सुकून
55. पोखर
56. गोष्ठी
57. मीठा पीठा
58. राजबहादुर
59. अंगुली
60. तबस्सुम रहमान
61. फेवर
62. सहमति
63. लॅक
64. यात्रा
65. वर्षा (कवर पृष्ठ 1 )
66. पूर्णता (कवर पृष्ठ 2 )
'सफर : एक यात्रा' से एक लघुकथा :
गुड-लॅक
"कल का आदमी तो बहुत जालिम था।" उसने अपने बदन को सहलाते हुए कहा।
"जाने दे यार! यहाँ गू खाने वाले किसी एक सिरफिरे का नाम बता, जो जालिम न हो!" दूसरी ने कहा।
"अरे नहीं यार, उसकी बहन के अंडे फोडू, सब कुछ हो चुकने के बाद भी हरामी बहुत देर तक चूसता ही रहा।" वो कराहने को हुई। "और पैसे?" दूसरी ने फिर छेड़ा।
"मरे ने पैसे देने में कोई कंजूसी नहीं की। जितने तय थे उससे दो गुने दिए।" पहली के चेहरे से उत्साह टपकने लगा ।
दूसरी मुस्कुराये बिना न रह सकी और सहानुभूति भरे स्वर में बोली, “फिर तो मजा आ गया होगा। ठीक है आज कहीं मत जइयो, आराम कर ले।" "अरे नहीं। अब आराम का मन नहीं करता। मैंने हरामी का फोन नम्बर ले लिया है, मिलाती हूँ, मरा आ गया तो पूरे एक महीने के मकान किराये की टेंशन खत्म, उसके बाद बचत ही बचत।" पहली बोली. दूसरी भी उत्साह में आ गयी, "अरे वाह! काम की पाबंदी तो कोई तुझसे सीखे। गुड लक ।"
सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा
जन्म : 9 नवंबर 1951
संपर्क : डी-184, श्याम पार्क एक्सटेंशन, साहिबाबाद, गाजियाबाद-201005
मो. : 9911127277
वाह
जवाब देंहटाएंसमाज का शाश्वत सत्य , भले ही घिनौना