लघुकथा संग्रह-2020/संतोष श्रीवास्तव

लघुकथा संग्रह : 'मुस्कुराती चोट' (वनिका पब्लिकेशन, बिजनौर वर्ष 2020) में प्रकाशित लघुकथाओं का अनुक्रम

1-लघुकथा जीवन का सत्य है--समीक्षात्मक आलेख डाॅ.  कमल किशोर गोयनका
1)अपने पराए 2)औरंगजेब 3)जोखिम 4)डाली से टूटा पत्ता, 5)झूठ का सच 6)नकाब 7)नया मोड़ 8)बारिश 9)फैसला
2-संवेदनीयता को नुकीलापन देती लघुकथाएँ-समीक्षात्मक आलेख डाॅ.  बी एल आच्छा
10)सती, 11) भेंट क्वार्टर 12)असली आनंद 13)चिता 14)काला इतवार, 15)तीस साल बाद 16)पर्दा गिर चुका था 17)मिलावट का जहर, 
3-लघुकथाओं पर एक नजर-समीक्षात्मक आलेख डाॅ.  बलराम अग्रवाल 
18)मुस्कुराती चोट 19)सौदा, 20) बुखार 21) मनी आर्डर फॉर्म, 22) मजहब नहीं सिखाता 23)  बाजार 24) आदत 25) शहीद की विधवा 26) मंगलसूत्र 27) सवाल वोट का था 
4-निम्नवर्ग, वंचितों को केंद्र में रखकर बुनी गई   लघुकथाएँ-समीक्षात्मक आलेख पवन जैन 
28)व्यापार 29)गोपू और आम 30)मजबूरी 
5-दिशाबोध कराने वाली लघुकथाएँ-समीक्षात्मक आलेख सतीश राठी
31)श्राद्ध, 32)निगरानी 33)नीलामी 34)पश्चाताप 35)रोबोट 36)अकेला, 37)विजेता 38)गरीब की बरसात 
6-अपने समय को प्रत्यक्ष करती लघुकथाएँ-समीक्षात्मक आलेख डाॅ सतीशराज पुष्करणा
39)गलत पता 40)तेल के कुएं 41)विभीषण विश्लेषण 42)सीधी रेखा 43)कलेजे में धुआँ 44)लोटा, 45)एहसास 46)संतुष्टि 47)डर, 
7-संतोष श्रीवास्तव की लघुकथाओं का मंतव्य-समीक्षात्मक आलेख हीरालाल नागर
48)गिद्ध 49)कीमती भोग, 50)गौ माता 51)काश, 52)उषा की दीपावली 53)अंतिम विदाई, 54)गूंगी 
8-विशिष्ट पहचान रखती लघुकथाएँ-समीक्षात्मक आलेख रूपेंद्र राज 
55) मौत निश्चित है, 56) विडंबना 57) बुजदिल 58)टिप्स लेना मना है 59) बेटी पढ़ाओ 60) तलाश 61)असली नशा 62) आस 63) करिश्मा 64) कीमती भोग 65) दावेदार 66) प्यार ऐसा भी 67) बंद 68) रंगभेद 69) असमंजस 70) गिरवी, 71) छूटने का दर्द 72) निर्णय, 
9-सार्थक, सामयिक  लघुकथाएँ-समीक्षात्मक आलेख प्रमिला वर्मा
73) अभावों का बदला 74) आतंक और इंसानियत 75) ममता, 76) पैर पसारता लॉकडाउन,  77)गुलाबी चुनरी 78) ग्रहण 79)चौथी बेटी 80)वचन 81) किन्नर 82) मुखौटा 83) मोहताज)उड़ान 85)जाल
प्रस्तुत है 'मुसकुराती चोट' से एक लघुकथा 'गिद्ध' :

गिद्ध 
अनाथ आश्रम में मुर्दनी छाई थी। आश्रम के सर्वेसर्वा सबके चहेते रुस्तमजी यानी अब्बू का अचानक हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया था। रुस्तमजी की सबसे लाडली रूपा सहमी हुई उनके शव के पास बैठी थी। सुबह ही तो रुस्तम जी ने रुपा से कहा था "शहर में कर्फ्यू लगा है। बिना दूध की काली चाय पीनी पड़ेगी" चाय पीते हुए ही वे कुर्सी से नीचे गिर पड़े थे... और अब रुस्तम जी के पार्थिव शरीर पर मसालों का लेप लगाकर दुखमेनाशीनी यानी अंतिम संस्कार के लिए दख्मा (टॉवर ऑफ साइलेंस )पर रख दिया गया ।

रूपा को जैनी समझा रही थी 'अब्बू महान थे। अभी थोड़ी देर में गिद्ध आएंगे और अब्बू की पार्थिव् देह से अपनी भूख शांत करेंगे ।जैसे जीवित रहते हुए वे हम सबकी भूख शांत करते थे। वे मरने के बाद भी परोपकार कर रहे हैं।"

रूपा आँखें फाड़े आकाश की सीमा नापने लगी। कहीं एक भी गिद्ध न था । ये अपशकुन कैसा ?
शहर में सांप्रदायिक दंगों की आग चरम पर थी। बेकसूर लोगों की गिनती दंगों में मारे गए लोगों में शुमार होने लगी। गिद्ध वही मंडरा रहे थे ।कई शरीरों का मांस जो मिल रहा था। दख्मा गिद्धों के भारी पंखों की आवाज से वीरान हो गया था ।औरतों के जिंदा शरीर को भी गिद्ध नोच रहे थे। और असली गिद्धों को पहचानना मुश्किल हो रहा था।

साझा संकलन संपादित

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1) सीप में समुद्र 

47 लघुकथाकारों की लघुकथाओं का संकलन। 

प्रकाशक अयन प्रकाशन दिल्ली। वर्ष 2018। 

संपादक : संतोष श्रीवास्तव, सहयोग  कांता राय

2) क्षितिज और भी हैं

पुरुष विमर्श की 42 लघुकथाकारों की लघुकथाओं का संकलन। विशेष : पुरुष लघुकथाकारों ने स्त्री विमर्श की लघुकथा लिखी है और स्त्री लघुकथाकारों ने पुरुष विमर्श की। 

प्रकाशक वनिका प्रकाशन बिजनौर । वर्ष 2020 । संपादक : संतोष श्रीवास्तव, सहयोग रूपेंद्र राज।

कथाकार : संतोष श्रीवास्तव     

जन्मस्थान : जबलपुर ( मध्यप्रदेश)

Email: kalamkar.santosh@gmail.com

टिप्पणियाँ

  1. बहुत-बहुत आभार बलराम जी सभी लघुकथा कारों से इस एक ही प्लेटफार्म पर मुलाकात कराने के इस अभिनव कार्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं संतोष श्रीवास्तव

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  2. संतोष श्रीवास्तव जी की लघुकथाओं की लेखकीय यात्रा निरंतर चल रही है. मुस्कुराती चोट पर सभी वरिष्ठ लघुकथा समीक्षकों के साथ मुझे यह अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद संतोष दी.
    इन सभी लघुकथा संग्रहों की विशिष्ट जानकारी के लिए धन्यवाद.आ० बलराम अग्रवाल जी🙏

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