छोटे-छोटे आकाश / बीना शर्मा

लघुकथा संग्रह 'छोटे-छोटे आकाश' की भूमिका स्वनामधन्य साहित्यकार डॉ॰ कुँअर बेचैन, बलराम अग्रवाल तथा डॉ॰ योगेन्द्रनाथ शर्मा 'अरुण' ने लिखी है, साथ ही डॉ॰ बीना शर्मा ने भी अपनी लघुकथाओं के बारे में संक्षेप में कुछ कहा है। संग्रह में कुल 111 लघुकथाएँ हैं। पृष्ठ संख्या 144।

 ई-मेल (Publisher) :

paragbooks@gmail.com

आई एस बी एन : 978-93-84774-00-0

प्रकाशन वर्ष : 2020

संग्रहीत लघुकथाओं के शीर्षक :

अन्तर / अर्थ / आँखें / आँखें / आँखें / आई-टैस्ट / आशियान परिंदों का / औरत / इन्साफ / इन्वेस्टमेंट / इरादा / उड़ान / उम्र / कदम / कमजोरी / कमी कलम / किन्नर / कुल्हाडी / कुत्त्ता / गणित / घर / चश्मा / चिंता / चोट / छड़ी / जड़ / जबरदस्ती / जनता कर्फ्यू / जल है तो कल / जिद / जीन्स / जुडाव / टेक्नीकल / ठंडक / ठंडक / तमाशा / तलाक / तिरंगा / तुरपन / दर्द / दर्द / दवाई / दवाई / दवाई / दहेज / दीवार / दीवार / दुलारी सिम्मी / दूरदृष्टि / देशभक्ति / निशान / निशानी / नौकरी / पतझड / पर्दा / प्रदूषण / प्रार्थना  / परिवार / पाठशाला / पूजा / फसल / बचपन / बच्चे / बडा दिल / बड़ी थाली / बड़े साहब / बहू / बेटी / बेटी / बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ / बैड बायज / बाल-दिवस / बूढ़ी काकी / बोझ / भूख-प्यास / भाईचारा / भेड और भेड़िये / भेड़िया / मंडी / माँ / माँ-बेटी / मिठास / मुँहदिखाई / मोरनी / मैं हूँ ना / योजना / राजनीति / रिश्ता / रिश्ते / लड़ाई / लॉकडाऊन / लालच / लाटसाहब / वसीयत / विश्वास / शादी / शादी / शिक्षा / श्रेष्ठ श्राद्ध / स्पर्श / सड़क / समझदार / सैलरी / सोशल डिस्टेंसिंग / सौदेबाजी / सुरक्षा समिति / सूरज / सैंटा


इस संग्रह से प्रस्तुत है एक लघुकथा 'पूजा' :

 लॉक डाउन में दिनभर घर में रहने के कारण रोहन सुबह-शाम अपनी दादी को पूजा करते हुए बड़े ध्यान से देखता था। पूजा करने के बाद दीपक हाथ में ले सब के पास ले जा, फिर पूरे घर में कुछ बुदबुदाते हुए उसे घुमाती दादी उसे बहुत अच्छी लगती थीl

तीन-चार दिन से वह पूजा के समाप्त होते ही दादी के संग-संग पूरे घर में घूमता था।      
आज उसे सवेरे-सवेरे नहा धोकर पूजाघर में आया देख दादी उल्लसित हो बोलीं, "तू भी पूजा करेगाl"

सकुचाते हुए उसने जवाब दिया, "हाँ पर मेरी एक शर्त है।"

हमेशा की तरह वो कहने ही वाली थी--'बेटा कोई भी काम शर्तों पर नहीं करते। पर ध्यान आया कि पति और बेटा तो नास्तिक थे ही, बहू भी उन्हीं के रंग में रंगी हुई आई। कम से कम पूजाघर का वारिस तो मिल रहा है। और फिर, शर्त भी तो पूजा-पाठ के लिए मनवाएगा। यही सोच वह बोली 'शर्त बता मुझे मंजूर होगी।'

सुनते ही उत्साहित हो रोहन बोला, "दादी पूजा के बाद जो आप कहती हो--मेरे परिवार की रक्षा करना, मेरे घर पर कृपा दृष्टि बनाए रखना प्रभु!उसकी जगह आज से हम कहेंगे--सारे संसार की रक्षा करना, विश्व पर कृपा दृष्टि बनाए रखना प्रभु!"

 












बीना शर्मा (प्रो.)

जन्मतिथि : 1/11/1963

जन्मस्थान : बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुंदर सार्थक देश प्रेम से ओतप्रोत संदेश
    हार्दिक बधाई

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