लघुकथा-संग्रह-2004/शराफत अली खान
कीकर के पत्ते-लघुकथा संग्रह में संग्रहीत लघुकथाएं-अनुक्रमानुसार।
'कीकर के पत्ते' लघुकथा संग्रह से लघुकथा 'विद्रोह'
उस दिन विश्व की समस्त भाषाओं ने एक सभा की। सभी भाषाओं ने विश्व में धर्म से जुड़े भाषायी राग-द्वेष पर गहन विचार विमर्श किया।
एक भाषा को इस बात से बहुत दुख था की सभी धर्म अपनी- अपनी विशेष भाषा से जुड़ गए हैं और दूसरे धर्म की भाषा से नफरत पर उतारू हो गए हैं।
एक अन्य भाषा का कथन था कि कहीं-कहीं तो धर्म- उन्मादियों ने अपने धर्म के उन्माद में हमारी सहभागी भाषाओं के ग्रंथों को आग में झोंक दिया है, तो कहीं-कहीं किसी भाषा को ही अपवित्र कर दिया।
काफी विचार-विमर्श के बाद समस्त भाषाओं ने एक अंतिम निर्णय लिया।
अगली सुबह उठकर लोगों ने देखा कि उनके धर्म-ग्रंथों से अक्षर गायब हो चुके हैं और धर्म- ग्रंथ महज़ एक कोरे कागज़ की किताब बन कर रह गए हैं।
शराफ़त अली ख़ान
जन्म-01-02-1958, रामपुर, उत्तरप्रदेश
प्रकाशन- फरवरी,1978 से "नंदन" में एक बाल लघुकथा से लेखन प्रारंभ।
अब तक लघुकथा के दो संग्रह प्रकाशित।
पहला लघुकथा संग्रह"अक्षरों के आंसू"1985 में चिंतन प्रकाशन ,कानपुर से प्रकाशित ।
प्रकाशक ('कीकर के पत्ते')- माण्डवी प्रकाशन, आर-10,एफ/59, राजनगर, गाजियाबाद(उ.प्र.)
प्रकाशन वर्ष-2004.
ISBN-81-8212-029-2
ईमेल-sharafat1988@gmail.com
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