लघुकथा-संग्रह-2004/शराफत अली खान

कीकर के पत्ते-लघुकथा संग्रह में संग्रहीत लघुकथाएं-अनुक्रमानुसार।

उसका दुख, विद्रोह, कीकर के पत्ते,आईना, पराई,फूल की चुभन,आस्तीन का सांप,धाराएँ, गिरगिट, असली रूप, छोटी मछली,एक सफेद बाल, तर्क शक्ति, शत्रु, आखिरी कहानी, जनगणना, वे कौन, दम्भ की उपज, प्रतीक्षारत, सत्य का असत्य, जातीय हमदर्दी, सांप और आदमी, ख़ुदा सब देखता है, भारत माता नंगी है। सम्बंधों की मार,रावण अभी ज़िन्दा है, सच की धूप,पुरुष बनाम मुहब्बत,सम्बंध, चारित्रिक उत्थान के लिए,महत्वाकांक्षा, हक़दार, परम्परा, परिवर्तन, प्रचलन के बाहर,आम आदमी, विकल्प, तलाश जारी है, हक़,विवशता, निषेध, प्रेम एक सुगंध, आनंद की खोज, धारणा, कलाकार।                 

'कीकर के पत्ते' लघुकथा संग्रह से लघुकथा 'विद्रोह'

    उस दिन विश्व की समस्त भाषाओं ने एक सभा की। सभी भाषाओं ने विश्व में धर्म से जुड़े भाषायी राग-द्वेष  पर गहन विचार विमर्श किया।

    एक भाषा को इस बात से बहुत दुख था की सभी धर्म अपनी- अपनी विशेष भाषा से जुड़ गए हैं और दूसरे धर्म की भाषा से नफरत पर उतारू हो गए हैं।

   एक अन्य भाषा का कथन था कि कहीं-कहीं तो धर्म- उन्मादियों  ने अपने धर्म के उन्माद में हमारी सहभागी  भाषाओं के ग्रंथों को आग में झोंक दिया है, तो कहीं-कहीं किसी भाषा को ही अपवित्र कर दिया।

      काफी विचार-विमर्श के बाद समस्त भाषाओं ने एक अंतिम निर्णय लिया।

      अगली सुबह उठकर लोगों ने देखा कि उनके धर्म-ग्रंथों से अक्षर गायब हो चुके हैं और धर्म- ग्रंथ महज़ एक कोरे कागज़ की किताब बन कर रह गए हैं। 

शराफ़त अली ख़ान

जन्म-01-02-1958, रामपुर, उत्तरप्रदेश 

प्रकाशन- फरवरी,1978 से "नंदन" में एक बाल लघुकथा से लेखन प्रारंभ।

अब तक लघुकथा के दो संग्रह प्रकाशित।

पहला लघुकथा संग्रह"अक्षरों के आंसू"1985 में चिंतन प्रकाशन ,कानपुर से प्रकाशित ।

प्रकाशक ('कीकर के पत्ते')- माण्डवी प्रकाशन, आर-10,एफ/59, राजनगर, गाजियाबाद(उ.प्र.)

प्रकाशन वर्ष-2004.

ISBN-81-8212-029-2

ईमेल-sharafat1988@gmail.com 



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