लघुकथा-संग्रह-1974 / कृष्ण कमलेश
(भीतरी पहले पृष्ठ का मैटर)
मोहभंग
(आठवें दशक का पहला प्रामाणिक लघु कथा संकलन )
कृष्ण कमलेश
प्रकाशक : अन्तर्यात्रा, १४/११ ( १२५० ) भोपाल
प्रमुख विक्रेता : बुकवर्ल्ड ३३, भदभदा रोड, भोपाल
(दूसरे पृष्ठ का मैटर)
मोहभंग
( लघु कथा संकलन )
सर्वाधिकार कृष्ण कमलेश द्वारा सुरक्षित
मूल्य : सजिल्द णंच रुपये
अजिल्द तीन रुपये
प्रथम संस्करण, आषाढ, १८९६,
(यह शक संवत है। ईस्वी सन् जून-जुलाई 1974 पड़ेगा।---बलराम अग्रवाल)
मुद्रक - लिबर्टी प्रेस, बुधबारा, भोपाल
यह पुस्तक छोटे आकार का 40 पृष्ठीय पेपरबैक संस्करण है।
दोनों फ्लैप्स पर विष्णु प्रभाकर जी की टिप्पणी।
'....और मोह भंग' शीर्षक से कृष्ण कमलेश जी की भूमिका।
'मोहभंग' में संग्रहीत लघुकथाएँ :
अवसर, जनसेवा, चेहरा दर चेहरा, शतरंज, अपरिभाषित, फर्क, यकीन, वरदान और भूमिका, फैलैसी, बिरादरी, इज्जत, समूचे तौर पर, हवा में तने हुये मुक्के, थकान, आइने के सामने, प्यार, सब चलता है, बदलाव, वह, लिहाज, सोचना एक नाकारा का, सूराख, शोषण, समान्तर।
'मोहभंग' से पहली लघुकथा 'अवसर':
सड़क पर बड़ी भीड़ थी। एक सवारी तेजी से गुजरती जा रही थी। वह पार करना चाहता था, वह इन्तजार करने लगा, कि भीड़ कुछ कम हो, सवारियों का तांता टूटे तो वह सड़क पार करले। पर भीड़ थी कि कम होती नजर नहीं आती थी, सवारियों का तांता था कि टूटता नजर नहीं आ रहा था...
वह इन्जार करने लगा; करता रहा...
मिनिट घटों में बदल गये, घटे प्रहर बने, दिन में ढल गये वह इन्तजार ही करता रहा... उसे सड़क पार करनी थी और वह अभी भी सड़क नहीं पार कर सका था ।
शहर में दंगा हो गया । भीड़ छंट गई, लोग अपने घरों में दुबक गये, कर्फ्यू लग गया और सड़क बिलकुल सूनी हो गई... लड़खड़ाती सांसें सम्भाले कांपते परो वह उठा। आज उसे अवसर मिल गया था ।
सड़क आधी पार कर पाया था कि वातावरण बूटों की भारी आवाजों से चौंक गया, मिलिट्री की एक टुकड़ी चली आ रही थी... वह गश खाकर गिर पड़ा । आधी सड़क इधर थी, आधी सड़क उधर और वह मर चुका था....
(पुस्तक सन् 2018 में डाॅ. शकुन्तला किरण से भेंट के दौरान प्राप्त)
कृष्ण कमलेशजन्मतिथि : 18 अगस्त, 1943; ग्वालियर (म.प्र.)
निधन : 05 अप्रैल, 2002
पारिवारिक संपर्क : pranavvashishtha007@gmail.com
इनकी सभी लघुकथाएं एक एक कर फेसबुक पर पोस्ट करें तो सभी उनके लेखन से वाकिफ होंगे ।
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