लघुकथा संकलन-2019 / विजय विभोर (संयोजक)

संपादक मंडल : 

प्रो. रूप देवगुण

(जन्मतिथि :  01/11 1943)

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'

(जन्मतिथि : 10/07/1955)

लाजपत राय गर्ग 

 (जन्मतिथि : 14/02 1952)


संयोजक :

विजय 'विभोर'

(जन्मतिथि : 22/11/1974)

प्रकाशन वर्ष     :  2019

ISBN : 978-81-942043-2-9

Email : vibhorvijayji@gmail.com 

Email : raveenaprakashan@gmail.com (प्रकाशक)

संकलित कथाकार एव॔  उनकी लघुकथाओं के शीर्षक :

डॉ. चंद्रदत्त शर्मा 'चन्द्रकवि' 

(जन्मतिथि : 22/04/1973) 

कोयल, तारा, गागर में सागर, सीख, चायवाली, माखनचोर, चमेली, पारी की कहानी, कड़वी चाय, मिलन

ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' 

(जन्मतिथि : 10/07/1955) 

दिव्य दान, नील झाग कृतज्ञ नज़रें, आत्म-तृप्ति, पुरुषार्थ पर भरोसा, ऊँची सोच, कोयली, मांगलिक लड़की, तीखे बोल, ताज़गी का चुम्मन

नेहा शर्मा

(जन्मतिथि : 15/02/2002) 

टूटी गुल्लक, अंतरात्मा को आवाज़, आज की सोच, आहट, निस्वार्थ मित्रता, दुश का कर्ज, घर आई लक्ष्मी, जल की गरिमा, रिश्ते, बुढ़ापे की लाठी

पवन मित्तल 

(जन्मतिथि : 07/11 1978) 

फर्जीवाड़ा, नस्ल, शुल्क, राजस्व, मर्यादा, स्वच्छता, जमावड़ा, निर्णय, स्वागत, फ़र्क

बलबीरसिंह वर्मा 

(जन्मतिथि : 20/01/1982) 

तजुर्बा, ज़मीन खिसक गई, खिड़की, लौट चलें बचपन में, प्रमाण, पछतावा, शरारत, जिद्द, आस्था, दरवाज़ा

राकेशकुमार जैनबन्धु 

(जन्मतिथि : 29/06/1981) 

खाना,  वसीयत, सस्ते खिलौने, पछतावा, सबल बनो, खंडहरों में, सरकारी नौकर, विभाजित सत्य, वृद्धाश्रम, गौसेवा

प्रो. रूप देवगुण 

(जन्मतिथि : 01 /11/1943) 

अब बोलो, चिज्जी, मुझे झिड़का नहीं, पहली पंक्ति, यह हमारी है, प्रणाम, क्या गह कम है, आज भी, व्यंग्य बाण, गर्म  भोजन

लज्जाराम राघव 'तरुण' 

(जन्मतिथि : 02/03/1954) /  

(निधन : 17/02/2020)

नव प्रभात, स्टेटस, अन्ततः, लीक से परे, कसम, मुलम्मा, पटाक्षेप, कीचड़ के कमल, केकड़े, मरी नहीं

लाजपतराय गर्ग 

(जन्मतिथि : 14/02/1952)

शुभ मुहूर्त, इरादा, जो उचित समझा, विदेश से आई टाई, चूड़ियाँ, सोचा थोड़ा पुण्य कमा लें, ममी/मम्मी, पर उपदेश कुशल बहुतेरे, दूसरा पिता, दोस्तों का दोस्त

विजय 'विभोर' 

(जन्मतिथि : 22/11/1974)

आदम जात, चल गया, आज़ादी, उदार मन, मर्द, कुर्बानी, फ्रेंड रिक्वेस्ट, मन का भँवर, हिम्मत, आदत

विरेन्दर वीर मेहता 

(10/12/1967) 

पहली दुश्मन, देवी, नशा, बच्चे जवान हो गए, चैन की नींद, अस्वीकृति का दंश, अतृप्त भावना, बेड़ियां, आठवाँ फेरा, पश्चाताप

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