अपने-अपने दायरे / पवन शर्मा

(1) अपने-अपने दायरे 

प्रकाशन वर्ष  - 1990


प्रकाशक  - अयन प्रकाशन, दिल्ली 

ISBN: नहीं है. 

संग्रहीत लघुकथाओं के शीर्षक (क्रमशः)

योजना, अपने-पराये, एक्सीडेंट, अपनों के लिए, एडजस्टमेंट, दुर्घटना, इच्छा, यथार्थ, लंगड़ा, मजबूरी, टूटने पर, अपने लोग, सच में, खुशी, मेहनत, षड्यंत्र, घर, बुजदिल,डोरी, लाचारी, उपयोगिता, रिश्ता, धीरे-धीरे, दुश्मन, विवशता, बेकारी में, सपना, उनके सपने, मोह, पहली बार, विभाजन, हद, अपराध, जुबान, तेज रोशनी, बंधुआ, समझ, अलाव, सहारे, नपुंसक आक्रोश, गुलाम, तृष्णा-वितृष्णा, मूल्यांकन, बुखार, आलंबन, अपना-अपना भाग्य, उतरा हुआ कोट, बोझ, स्थाई तल्खी, रिश्ते-नाते, विघटन, नई शेरवानी, भंग होता एहसास, यह पारी ही तो है!, नंगी दीवारें 

(2) जंग लगी कीलें 

प्रकाशन वर्ष  - 1996

ISBN : 81-7408-047-3

संग्रहीत लघुकथाओं के शीर्षक (क्रमशः)

पता नहीं क्यों, सामंजस्य, चीखें, रिपोर्ताज, दिशाहीन, शुरुआत, शोर, अंग्रेजियत, गलत पकड़, इनका-उनका दुःख, बूढ़ी आँखें, धुआं, दहशत, घर-समाज, परछाइयाँ, निर्णय, घिनौना चेहरा, बर्फ, मुखौटा, सहमे हुए चेहरे, झूठ, शिक्षा, बड़े बाबू और साहब, शीत, मर्यादा, सौगात, पीली कोठी, अपराध-बोध, पैबंद, फांस, दंश, नींव, दैवयोग, नंगा भारतीय, चौथी अवस्था, मृगतृष्णा, स्तर, जेबकतरा, आतंक, चेहरे, धर्म-ज़ात, सूनी सड़क, चोर निगाहें, स्कूल कथा, आग

(3) हम जहाँ हैं 

प्रकाशन वर्ष  - 2009

प्रकाशक  - पंकज बुक्स, दिल्ली 

ISBN : 81-8135-044-8

संग्रहीत लघुकथाओं की संख्या-100

षड्यंत्र, बुज़दिल, सच में, टूटने पर, लँगड़ा, मज़बूरी, यथार्थ, एडजस्टमेंट, यह पारी ही तो है !, नंगी दीवारें, तेज़ रोशनी, हद, समझ, अलाव, विभाजन, सहारे, बेकारी में, दुश्मन, उनके सपने, धीरे-धीरे, उपयोगिता, लाचारी, डोरी, खुशी, मेहनत, मोह, पहली बार, बोझ, स्थायी तल्खी, तृष्णा-वितृष्णा, उतरा हुआ कोट, विघटन, नई शेरवानी, भंग होता अहसास, पता नहीं क्यों ?, सामंजस्य, चीखें, रिपोर्ताज़, शुरुआत, शोर, बूढ़ी आँखें, दहशत, घर समाज, घिनौना चेहरा, परछाइयाँ, शीत, बड़े बाबू और साहब, अपराध-बोध, सौगात, फाँस, मर्यादा, प्रतीक्षा, स्तर, आतंक, नींव, चेहरे, धर्म-जात, सूनी सड़क, चोर निगाहें, स्कूल कथा, आग, बाप बेटे और माँ, जागृति, लोकतंत्र, गंध, सारी रात, उनके बीच, मेरे बाद, विकृत रंगों वाले बिम्ब, इसी भीड़ में, चील और कौए, बोध, जीवन भर, दुःख दिखे तो कैसे! अनुभव, कोर्ट-कचहरी, उलाहने, तुम तो कहते थे, संस्कार, आत्महत्या के बाद, मोह, जीवन है ये, बदलाव, भय, हॉकर, मित्र संवाद: उपजती दरारें, आकलन, पगडण्डी, मछलियां, स्टेटस, निष्ठुर, चिंगारी, गृहस्थ, हत्यारा, कर्म, बेहतर लोगों के बीच, सुरेन्द्र के पिता एक, सुरेन्द्र के पिता दो, सुरेन्द्र के पिता : तीन, सुरेन्द्र के पिता : चार

(4) मेरी चुनिंदा लघुकथाएं 

प्रकाशन वर्ष  - 2019

प्रकाशक  - दिशा प्रकाशन, दिल्ली

 ISBN : 978-93-84713-45-4

संग्रहीत लघुकथाओं के शीर्षक (क्रमशः)

षड्यंत्र, बुजदिल, टूटने पर, लंगड़ा, एडजस्टमेंट, यह पारी ही तो है!, लाचारी, पहली बार, बोझ, स्थाई तल्खी, भंग होता एहसास, पता नहीं क्यों?, चीखें, बूढ़ी आँखें, दहशत, बड़े बाबू और साहब, अपराध-बोध, सौगात, फांस, आतंक, चेहरे, सूनी सड़क, चोर निगाहें, आग, बाप बेटे और माँ, मेरे बाद, विकृत रंगों वाले बिम्ब, इसी भीड़ में, चील और कौए, बोध, जीवन भर, दुःख दिखे तो कैसे?,उलाहने, तुम तो कहते थे, संस्कार, जीवन है ये, भय, पगडण्डी, चिंगारी, कर्म, सुरेंद्र के पिता:1, सुरेंद्र के पिता:2, सुरेंद्र के पिता:3, सुरेंद्र के पिता:4, अहमियत, जादू, मोह, तृष्णा-वितृष्णा, उतरा हुआ कोट, उपयोगिता, शीत, अनुभव, निष्ठुर, सच में, धीरे-धीरे, स्कूल कथा 

पवन शर्मा 

जन्मतिथि  - 30 जून 1961

जन्मस्थान - सांचेत, जिला- रायसेन (म.प्र.) 

                                              मो.:94258 37079 

टिप्पणियाँ

  1. लघुकथा विश्वकोश में मेरे लघुकथा संग्रहों का परिचय देने के लिए आपका शुक्रिया भाई साहब 🙏 निःसंदेह आप लघुकथा के लिए उल्लेखनीय काम कर रहे हैं.

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