लघुकथा संग्रह-2020/ विभा रश्मि
लघुकथा संग्रह 'साँस लेते लम्हे' की 84 लघुकथाएँ :
पहली बारिश, संस्कार, हथेली पर उगता सूरज, आत्मीयता, निर्माता, छाँव, रस्साकशी, सपनरी छतरी ,एंटी वायरस, खोज, तिरंगा किसका, कपोल फिर इतराई, पिघलता बोझ, कंगाल, सरोकार, कलई, संवेदना, डर, पर्याय, जीत, पिंजरा, चाय की प्याली, मौन शब्द, प्रसन्नता, बिट्टी, आत्मविश्वास, साँस लेते लम्हे, आज की अनारकली, अर्थ-अनर्थ, ताक़तवर, नयी माँ, बंधुआ, मुख्यधारा, चमेली, खोया हुआ रंग, दूध, वापसी बदलते संदर्भ, हरियल मौनी बाबा, पिताजी की रज़ाई, परछाइयाँ, शिशुवत, सोफ़ादादा, इबादत, अवमूल्यन, नमक हलाल, नाख़ून, फ़र्क, समानता, कलाकार, डायमंड बाॅय, पूर्वाग्रह, पुरस्कार, पड़ोसी धर्म, मोगरा की किरचें, रोटली महारानी, सेल्सबाॅय, अकालग्रस्त रिश्ते, वेदना की तरंगें, वर्चस्व, अनुत्तरित, मिठास, गुलाबो आपा, मन का छाजन, अपराधी, रिश्ता, अँधेरा, छुटकारा, क्रेज़ी, तंदूरी मुर्ग, लो अपनी धूप, मन के रंग, असली चेहरा, विस्फ़ोट, जंगली, विरोध के स्वर, नैसर्गिकता, बिटवा, बहेलिया, चाबी का खिलौना, उस पार , प्रेमिल, ठिठुरन, व्यावहारिक।
'साँस लेते लम्हे' से एक लघुकथा 'ताकतवर':
"जो सरगम सभी को दी गई थी, कृपया उसी में अपने-अपने गायन के शब्द भरें।"
"क्यों मित्र! तुम्हें जानकारी क्यों नहीं अभी तक? मुनादी भी की गई।"
नगाड़ची ने चौक व राज मार्ग पर नगाड़े पीटे और भोंपू से चिल्ला-चिल्ला कर हमारे कानों में फ़रमान का पिघला सीसा पिरो कर दिमाग पर कब्जा जमाने की कोशिश की.....
"सभी ऐसा कर रहे हैं तो तुम अलग क्यों दिखना चाहते हो, बोलो, जवाब दो भाई।"
"हम अलग हैं यार।" वो ज़ोर से बोला।
"आवाज़ धीमी रख यार, अपने साथ मुझे भी मरवाएगा क्या?"
लोगों ने ढिंढोरा सुनकर वैसा ही किया।
सारे लोग अब एक जैसा संगीत सीखते, गाते, उसी पर ताल देते, नाचते और वाद्य बजाते। अरसा बीता। एकरसता ने उस प्रदेश में वास कर लिया था।
तभी कुछ युवा दिल वाले बच्चे कुछ नया करने की सोचने लगे। उन्हें किसी का भय नहीं था। भोर को जब लोग घिसे-पिटे संगीत पर गा-बजा रहे थे, तब अपनी नई ताज़गी देती सरगम पर अपने ही गीत के बोल भर कर एक नौजवान मस्ती से अपना साज बजाता, परकोटे से बाहर के रास्ते पर अपनी धुन में खोया चला जा रहा था।
संगीत इतना मोहक था कि धीरे-धीरे डर त्याग बूढ़े, बच्चे व युवा उसका अनुसरण करते उसके पीछे-पीछे चल पड़े। कारवाँ चल पड़ा- नई सरगम गाता बजाता झूमता।
शहर खाली होने लगा था। ढोलची, ढिंढोरची, ऐलान करने वाले सभी बड़े-छोटे प्यादे जड़-से खड़े रह गये। अचानक उनके पैरों व हृदयों में भी हलचल होने लगी थी.....
विभा रश्मि
जन्म 31 .8.1952 बदायूँ उत्तर प्रदेश
प्रकाशन वर्ष: 2020 में अयन प्रकाशन से
अनेक संकलनों में लघुकथाएँ प्रकाशित 1975 से
ISBN : 978-81-943256-4-2
ई-मेल: vibharashmi31@gmail.com
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