लघुकथा-संकलन-1994/वेद हिमांशु एवं राजेन्द्र निरंतर (सं.)

(संतोष सुपेकर के सौजन्य से)

लघुकथा-संकलन : स्याह हाशिये  

सम्पादक : वेद हिमांशु एवं राजेन्द्र निरंतर  प्रकाशक : काव्यपंक्ति, बृजनगर, शुजालपुर मंडी, म.प्र. 

प्रथम संस्करण : अप्रेल 1994  

रचनाधिकार : लेखकाधीन 

संकलनाधिकार : सम्पादक 

आवरण सज्जा : पारस दासोत / अव्यावसायिक पहल 

— सहयोग राशि : पन्द्रह रुपये मात्र

इस संकलन में अनुक्रम पृष्ठ नहीं है।

वेद हिमांशु

जन्म 1 जुलाई 1954 सांवेर (जिला इंदौर) एम. ए. हिंदी । सन् 1974 से लघुकथा आंदोलन में सक्रिय और सृजनात्मक भूमिका ! इंदौर, बैढ़न, (सीधी) मंदसौर और अब शुजालपुर, जहां भी होते हैं, चुप बैठना पसंद नहीं, शुरूआत अकेले करते हैं, फिर सब सहज ही साथ हो जाते हैं, विनीत स्वभाव और ठोस । तल्ख लेखन के लिए लोकप्रिय । कविता की सभी धाराओं में लेखन । मालवी बोली में नई कविता और जापानी शिल्प हाइकु मालवी में प्रयोग के लिए इन दिनों विशेष उल्लेख । रचनाओं के बंगला व पंजाबी में अनुवाद। कई राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय संकलनों में रचनाएं शामिल । 'काव्य पंक्ति' के सम्पादक संयोजक ! सदस्य 'लोक मानस अकादमी' एवं 'साहित्य मंथन' उज्जैन |

सम्पर्क – सम्पादक 'काव्य पंक्ति', शुजालपुर मंडी, (म. प्र.)

राजेंद्र निरंतर : जन्म 7 जून 1963 शाजापुर।बी.एस.सी. गणित ग्रंथालय सूचना विज्ञान में डिग्री। लेखन की उम्र मात्र एक वर्ष; लेकिन समझ की उम्र परिपक्व। एक लम्बे अर्से से अपने हरफनमौला स्वभाव के कारण मित्रों में चर्चित! वेद हिमांशु जी के प्रेरित करने पर व्यंग्य लेखन से शुरूआत की लेकिन बाद में लघुकथा पर गम्भीर रूप से अनवरत लेखन! साथ ही प्रकाशन भी।

'स्याह हाशिये' राजेंद्र निरंतर की जिद का सार्थक प्रतिफल है।

सम्पर्क – 86, बृजनगर, शुजालपुर, मंडी (म. प्र. )

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समकाल (लघुकथा विशेषांक) अगस्त 2023 / अशोक भाटिया (अतिथि संपादक)

तपती पगडंडियों के पथिक/कमल कपूर (सं.)

आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र रचनावली,भाग-1/डाॅ. ऋचा शर्मा (सं.)