लघुकथा-संग्रह-2019/क्षमा सिसोदिया
प्रकाशक:-काव्या पब्लिकेशन्स
प्रकाशन वर्ष:- अप्रैल 2019
ISBN:-978-93-88256-39-1
अनुक्रमणिका :-
1- दिल तो गिरवी है
2-फेसबुकिया प्यार
3-बगावत
4-मनोविज्ञान
5-कार्यवाही
6-सुनहरी भोर
7-मुराद
8-ताजमहल
9-प्रीत की रीत न जाने कोय
10 - अनुभव का अनुराग
11-रेशमी बारिश
12-प्रीत का बंधन
13-परिवर्तन
14-तपस्या
15-खामोशी
16-आत्मसम्मान
17-सहकर्मी
18-संस्कार
19-अनोखी दुल्हन
20-पहली तीज
21-पहचान
22-मुराद
23-सकारात्मक सोच
24-शादी की पहली सालगिरह
25-मुझे माफ कर दो न
26-जीने दो न
27-मिशन
28-कर्मों का हिसाब
29-बेटों की माँ
30-प्रतिस्पर्धा
31-अस्तित्व
32-भाईचारा
33-परचम
34-आँगन की तुलसी
35-वक्त
36-अजन्मी बेटी की जुबां
37-नदी का दर्द
38-अपराधियों का आधार कार्ड
39-बहिष्कार
40-मंशा
41-आशीर्वाद
42- घुटन
43- कुपोषित मस्तिष्क
44-औरत की जात
45-कोहरा
46- मील का पत्थर
47- रजनीगंधा
48- स्वयंसिद्धा नारी
49- तुमको कही देखा है
50-सबक
51- त्रिज्या-चरित्र
52 - पथ के पुष्प
53-भक्ति का काफिला
54- पारिजात के फूल
55-हमसफर
56-रूहानी कशिश
57- आँसुओं से भीगा खत
58- वहशी औरत
59- अनोखी पहल
60- जन्मदिन का उपहार
61- स्वागत-सत्कार
62- बँटवारा
63-फरियाद
64- धानी चुनर
65- दिव्यांगी सौष्ठव
66- तीज-त्यौहार
67-धुआँ होता शहर
68- रोशनी वालों
69-मृगनयनी
70- रावण दहन
71- अपराधी कौन है
72- मजहबी सौहार्द
73- लोग क्या कहेंगे
74- परिभाषा
75-अन्नपूर्णा का प्रसाद
76- मकड़जाल
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संग्रह से एक लघुकथा
-:- सकारात्मक सोच -:-
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"आज फिर टीचर ने डाँटा तुमको ?"
"हाँ !", सि-सकते हुए सोनू ने जब सिर हिला तो माँ का कलेजा निकल कर आज बाहर ही आ गया।
गले से लगाते हुए रीमा ने मीठी झिड़की दी।
"तो बेटू तू फिर ऐसा करता ही क्यों है ?"
"मैं क्या करू माँ, मैं कोई जान-बूझकर थोड़ी न करता हूँ।पता नही कैसे यह गलती बार-बार मुझसे हो जाती है।"
"साहब, आप सब काम छोड़ो और चलो आज मुन्ने को किसी मनोवैज्ञानिक को दिखाते हैं।"
सीमा जब रूआँसी होकर बोली,तो सुरेश भी तुरंत तैयार हो गया।
"कहिए, आपकी क्या परेशानी है ?"
"डाक्टर साहब, यह मेरा बच्चा...!"
"कोई बात नही, मैं इतनी देर में ही इस बच्चे को देखकर समझ गया, कि आपकी क्या परेशानी है।
"देखिए हायपर एक्टिव बच्चों की दवाएं तो हैं लेकिन इन सबसे अधिक आवश्यक है, माँ-बाप की सूझ-बूझ।अभिभावक को यह समझना चाहिए, कि उनका बच्चा, दूसरे बच्चों से कुछ अलग जरूर है, पर असामान्य नही।"
"ऐसे बच्चों को पहले माता-पिता को ही स्वीकारना चाहिए।दूसरों से तुलना करके उसे और शरारती, उपद्रवी बनने का मौका नही देना चाहिए।उसे सकारात्मक सोच देना माता-पिता की जवाबदारी है।"
"मैं भी कभी इस बच्चे जैसा ही हायपर एक्टिव बहुत शरारती बच्चा था और आज इस तरह के बच्चों का इलाज कर रहा हूँ।"
डॉ. क्षमा सिसोदिया
पीएच.डी, इन्टीरियर डिप्लोमा कोर्स। इंडस्ट्रियल कोर्स डिप्लोमा।
लेखन की विधाएँ :
कविता, लघुकथा, समीक्षा, हाइकु, मुकरी, हास्य-व्यंग्य। स्वतंत्र लेखन।
उपलब्धियाँ :
1-देवी अहिल्या वि. वि. में (गवर्नर नामिनी) कार्यपरिषद की सदस्य। (2005 से 2008)
2-'रेकी थैरेपी' गवर्नर द्वारा गोल्डमेडल प्राप्त।
3-लखनऊ वि. वि. से उत्कृष्ट छात्रा के रूप में
"मिस हिन्दी" अवार्ड प्राप्त। (2006)
4- दैनिक भास्कर, पत्रिका, नई दुनिया, अग्निपथ समाचारपत्र द्वारा सम्मानित।
अनेक स्थानीय संस्थाओं से सम्मान प्राप्त।
5-अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में लघुकथाएं और कविताएं पुरस्कृत।
प्रकाशित पुस्तकें :
1-'केवल तुम्हारे लिए' काव्य संग्रह
2-'कथा सीपिका' लघुकथा संग्रह
3-'भीतर कोई बंद है' लघुकथा संग्रह प्रकाशित।
ई-मेल : Kshamasisodia@gmail.com
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