लघुकथा-संग्रह-2020/क्षमा सिसौदिया
लेखिका :
क्षमा सिसौदिया
प्रकाशन : जनवरी 2020
प्रकाशक :
कलमकार मंच
ISBN-978-81-944492-8-7
अनुक्रम
1-मधुर मंगल मिलन
2-सौ सुनार की, एक लोहार की
3-पथ की अशेषता-(आधा दिन)
4-बाल-मजदूर
5-पहली सासू माँ
6-सटीक सवाल
7-बँटवारा
8-बरसाती मेंढक
9-पृष्ठभूमि
10- न्याय की ओट में
11-नशा
12- प्रेम की तलाश
13- कटी हुई पतंग
14 - प्रियदर्शिनी
15-अतीत से निरपेक्ष
16-चलित स्वाभिमान
17-सशक्त जागरण अभियान
18- भाग्यरेखा
19-बदलाव
20- गुरू-दक्षिणा
21-मासूम क्राइम
22-देखो वो चला गया
23- मैला आँचल
24- सतगुरु दीक्षा
25 - पीड़िता कौन है
26 - सुर्खियों की चाहत
27- परदेसिया
28- सवाल
29 - उत्तरदायित्व का ज्ञान
30 - साहसिक कदम
31- कैदी का स्वप्न
32 - साहसी दुल्हन
33- आधुनिक तुलसीदास
34-मिट्टी का दीपक
35- प्रकृति
36-घायल हृदय
37-तमाशा
38 - तंत्र--मंत्र
39- अवार्ड
40- साधक की आत्मनिष्ठा
41- भीतर कोई बंद है
42 - स्नेह-पथ
43- अधूरा सच
44- एक घूँट
45- अब की करेंगाँ लोगा
46- असहृय व्यवहार
47- त्याग के बीज
48- तलाश
49- हिन्दी-दिवस
50- अस्मिता का महोच्चार
51- बावरी
52 - परिवर्तित सोच
53 - निजता का अतिक्रमण
54 - धरोहर
55 -पश्चाताप की ज्वाला
56 - निषिद्धपाली
57- परिभाषा
58 - नकाबपोश
59- कुकर्मों का हिसाब
60- कपाल की महिमा
61- बाइस्कोप वाला
62-विडम्बना
63 - माँ का स्नेह
64 - कवरेज
65 - श्रद्धांजलि
66 - प्रीत की पगडंडी
67 - मृगतृष्णा से आजादी
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संग्रह से एक लघुकथा -
पथ की अशेषता-(आधा दिन )
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"क्या हुआ डाॅ....?"
"यह कैसे, क्या हो गया, कि सब बच्चे एक साथ सो रहे है,
आपने इन्हें नींद की दवा पिलाई है क्या.. !!! ?"
"मेरा मुन्ना तो रो रहा था, रह-रहकर कराह भी रहा था न।"
"हाँ, डाॅ. उसके कराह-ने की आवाज़ तो मुझे अभी थोड़ी देर पहले सुनाई पड़ी थी। क्या आपको नही सुनाई पड़ी...!!?"
"बोलिए न डाॅ. साहब, क्या हुआ ?"
"डाॅ. साहब, मैंने पैसों का इन्तजाम कर लिया। इसी अस्पताल में मेरा एक रिश्तेदार भी भर्ती हैं, उन्हें किडनी चाहिए थी, तो मैं किडनी के बदले उनसे मुँह-माँगी कीमत ले आई। अब तो मेरा बच्चा बच जाएगा न ?"
चारों तरफ अफरा-तफ़रीह मची हुई थी, लेकिन स्मिता को न कुछ दिखाई दे रहा था और न ही कुछ सुनाई ही पड़ रहा था।
उसे तो बस अपने जान के टुकड़े को कैसे भी बचा लेने की धुन लगी थी।
"बोलिए डाॅ. क्या हुआ, आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो ?"
तभी किसी की चीख़ती हुई आवाज से स्मिता का मोहभंग हुआ ।
"अरे, अब यह क्या बोलेगा ?, यही वह हत्यारा है, यही वह राक्षस है, जो हम सबके बच्चों को खा गया।"
"क्य्य्या, खा गया..., बच्चों को खा गया....!!?"
स्मिता की आवाज़ उसके गले में अटक कर घुटने लगी।
"डाॅ. साहब,मैंने तो पैसों के इन्तजाम के लिए बस 'आधे दिन' की मोहलत माँगी थी न, फिर यह सब कैसे हो गया...?"
स्मिता के सिर पर ममता का जैसे भूत सवार हो गया, उसे माजरा समझते देर नही लगी।
"बोलो डाॅ. किसको कितना पैसा चाहिए ?, बोलिए मैं अब खुद को भी बेचने के लिए तैयार हूँ, लेकिन मुझे मेरा बच्चा चाहिए।"
"बोलो साहब, आक्सीजन की और कितनी बाॅटलें चाहिए, जो आपका सिस्टम बिना पैसे के इन्तजाम नही कर सकता है।"
"बोलो डाॅ... ?"
'आधे दिन' का थोड़ा वक्त तो अभी भी बचा हुआ है। बोलो--बोलो - -बोलो..., लगाओ ममता की बोली।"
"दुनिया वालो, मैं सरेबाजार खड़ी होकर खुद की बोली लगा रही हूँ, बोलो लोगों,बोलो कितने में मुझे खरीदोगें...?"
बोलते-बोलते वह कभी हँसने लगती तो,तो कभी रोने लगती।
उसका दिमाग,उसका साथ छोड़कर उसके बच्चे के साथ जा चुका था और वह एक गुड्डे को अपने गोद में लिए हुए,अपने लाल की जान बचाने के वहम में आधे दिन की रट लगाते हुए आज भी अस्पताल के प्रांगण में घूमती हुई नज़र आ जाती है...।
डॉ. क्षमा सिसोदिया
पीएच.डी, इन्टीरियर डिप्लोमा कोर्स। इंडस्ट्रियल कोर्स डिप्लोमा।
लेखन की विधाएँ :
कविता, लघुकथा, समीक्षा, हाइकु, मुकरी, हास्य-व्यंग्य। स्वतंत्र लेखन।
उपलब्धियाँ :
1-देवी अहिल्या वि. वि. में (गवर्नर नामिनी) कार्यपरिषद की सदस्य। (2005 से 2008)
2-'रेकी थैरेपी' गवर्नर द्वारा गोल्डमेडल प्राप्त।
3-लखनऊ वि. वि. से उत्कृष्ट छात्रा के रूप में
"मिस हिन्दी" अवार्ड प्राप्त। (2006)
4- दैनिक भास्कर, पत्रिका, नई दुनिया, अग्निपथ समाचारपत्र द्वारा सम्मानित।
अनेक स्थानीय संस्थाओं से सम्मान प्राप्त।
5-अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में लघुकथाएं और कविताएं पुरस्कृत।
प्रकाशित पुस्तकें :
1-'केवल तुम्हारे लिए' काव्य संग्रह
2-'कथा सीपिका' लघुकथा संग्रह
3-'भीतर कोई बंद है' लघुकथा संग्रह प्रकाशित।
ई-मेल : Kshamasisodia@gmail.com
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