बुजुर्ग जीवन की लघुकथाएँ-2011 / सुरेश शर्मा (संपा.)

लघुकथा संकलन : बुजुर्ग जीवन की लघुकथाएँ

संपादक : सुरेश शर्मा 

प्रथम संस्करण : 2011

आई.एस.बी.एन. : 978-81-7970-209-3

प्रकाशक : समय प्रकाशन, आई-1/16, शांतिमोहन हाउस, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002

ईमेल : samayprakashan@yahoo.co.in


अनुक्रमणिका : 


श्यामसुन्दर व्यास : संस्कार 

सतीश दुबे : बर्थडे गिफ्ट /बंदगी / पूजा फंड 

सूर्यकान्त नागर :  रोशनी / कंधा /फल

सतीश राठी :  अंतर / आग्रह

विक्रम सोनी :  वनैले सुअर

बलराम :  बेटी की समझ

कमल चोपड़ा :   छिपा हुआ दर्द /  संतान

सुभाष नीरव :  तिड़के घड़े / कमरा / सहयात्री

भगीरथ परिहा :  तीर्थयात्रा

सुकेश साहनी :  संस्कार / विजेता / काला घोड़ा

रामेश्वर काम्बोज हिमांशु :  ऊँचाई / अपने-अपने संदर्भ / उड़ान

सतीशराज पुष्करणा: मन के अक्स

योगेन्द्रनाथ शुक्ल :  आशंका / ईर्ष्या / दीया

प्रताप सिंह सोढ़ी :  तस्वीर बदल गई / स्वाभिमान / जलन

राजेन्द्र वामन काटदरे :  जड़ में मट्ठा / खालीपन / इनवेस्टमेंट

चित्रा मुद्गल :  रिश्ता

रामनिवास मानव :  बुढ़ापे का सत्य / बाप का दर्द  / दर्द-बोध

सत्यवीर मानव :  स्वप्न-महल

बलराम अग्रवाल :  अज्ञात गमन / कसाईघाट / झिलंगा

श्यामसुन्दर अग्रवाल :  पुण्यकर्म / माँ का कमरा / बेटी का हिस्सा 

श्याम सुन्दर दीप्ति :  बड़ा दिन / दीवारें / बूढ़ा रिक्शेवाला 

उषा दीप्ति :  औलाद

डॉ. सुरेन्द्र मन्थन :  साथी

डॉ. पूरन सिंह :  इन्तजार

कालीचरण प्रेमी :  बरक्कत / विकल्प

पुष्पा रघु :  मदर्स डे

हरनाम शर्मा :  ताला

विपिन शर्मा :  सोच

सुदर्शन :  अपनी कमाई

मनोज सेवलकर :  बचपन / कचरा 

जया नर्गिस :  दृश्यांतर

राजेन्द्र साहिल: राहजनी

प्रद्युम्न भल्ला :  श्रवण कुमार

रामशंकर चंचल :  शंभू काका

राजेन्द्र नाथ लाहा :  मातृत्व

पारस दोसात :  मैं तो हूँ / एक मूवी का ‘द एन्ड’

देवेन्द्र गो. होलकर :  पिता / कलरव

नन्द लाल भारती: नसीब

संतोष सुपेकर :  लक्ष्मण रेखा / एक बेटा

मीरा जैन   :  मातृ प्रेम / हम और हमारे पूर्वज

राजेन्द्र नागर निरंतर  मौन

सुरेश शर्मा :  भूल / पितृ-प्रेम / बन्द दरवाजे

विक्रमजीत ‘नूर’ :  सेवानिवृत

किशोर काबरा :  घोषणा / प्रार्थना

नन्दलाल हितैषी :  ...वह क्या है?

घनश्याम अग्रवाल : एक री-टेक और

शील कौशिक :  सामंजस्य / हिसाब-किताब

रूप देवगुण :  लगता है / ठण्डक

निरंजन बोहा :  रिश्तों के अर्थ

हरभजन सिंह खेमकरनी :  संताप / कबाड़ वाला कमरा

सुरेन्द्र कुमार अंशुल :  बिजूका / जरूरत

गफूर स्नेही :  और जीवित रहती माँ 

सीमा पाण्डे ‘शुशि’ :  लालसा / कीमत

नियति सप्रे  :  लड़ाई का कारण / निरुत्तर

रमेश चन्द्र :  बड़े-बूढ़े

मणि खेड़ेकर :  हार में जीत

तारिक असलम तस्नीम :  अपने-पराये लोग / उसूलपरस्त 

रामयतन यादव :  चिट्ठी

कृष्ण मनु : तंग होती जगह / धारणा

साबिर हुसैन  :   श्रवण कुमार / मृत्यु का अर्थ 

अंजना अनिल  :  दर्द

जसबीर सिंह ढंड  :  छमाहियाँ

सतिपाल खुल्लर  :  बदला हुआ स्वर

बलदेव सिंह खहिरा :  जम्मेवारी / जगदीशराय कुलरियाँ / अपना घर

दर्शन जोगा :  निर्मूल

हरजिन्दर कौर कंग :  कलयुगी श्रवण

रामकुमार आत्रेय :  पिताजी सीरियस हैं 

राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बंधु’ :  सबक 

कुमार नरेन्द्र :  अमृतपर्व

कुँवर प्रेमिल :   मंगलसूत्र / तरकीबें

आशा शैली :  खोटा सिक्का

प्रभु त्रिवेदी :  तीन विंध्याचल

परिपूर्ण त्रिवेदी :  पिताजी का लेटरबाक्स

एन. उन्नी :  समय / शेर /जरूरत

पृथ्वीरात अरोड़ा  :  बुनियाद /  कथा नहीं

अशोक भाटिया  :  अंतिम कथा


संकलन से एक प्रतिनिधि लघुकथा  :

बेटी का हिस्सा  श्यामसुन्दर अग्रवाल

    उनके दोनों बेटों को ज़मीन-ज़ायदाद का बँटवारा करने में अधिक समय नहीं लगा। लेकिन वृद्ध माता-पिता का बँटवारा नहीं हो पा रहा था। कोई भी बेटा दोनों को अपने पास रखने को तैयार न था। दोनों बेटे चाहते थे कि एक भाई माँ को रखे, दूसरा पिता को। पिता का स्वास्थ्य अभी कुछ ठीक था, इसलिए उसे पास रखने को दोनों तैयार थे। बीमार माँ को कोई भी नहीं रखना चाहता था। पाँच-छः सौ रुपये महीने का तो उसकी दवा का खर्च ही था। बड़ा उसे इस शर्त पर रखने को तैयार था कि बदले में छोटा उसे पचास हजार रुपये दे।

    दो दिन तक कोई फैसला नहीं हो पाया। माता-पिता भी बुढ़ापे में एक-दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे। तीसरे दिन उनकी विधवा बेटी आई। बहन को आई देख दोनों भाई स्तब्ध रह गए।

    ‘‘आज अचानक कैसे आना हुआ बहन?’’ बड़े ने पूछा।

    ‘‘अपना हिस्सा लेने आई हूँ।’’

    ‘‘तेरे लिए तो जीजा जी इतना छोड़ गए हैं कि सात जन्म....’’ छोटा बोला।

    ‘‘वही कुछ लेने आई हूँ जो तुम्हारे जीजा जी नहीं छोड़ गए।’’

    और विधवा बेटी अपने हिस्से के रूप में वृद्ध माता-पिता को अपने साथ ले गई।



सुरेश शर्मा

जन्मतिथि : 06.05.1938 (इन्दौर)।

देहावसान : 13.04.2015

परिचय : वरिष्ठ कथाकार सुरेश शर्मा जी का सृजन मुख्यतः कहानी एवं लघुकथा विधाओं में रहा। छोटे लोग, शोभा, थके पाँव सुरेश जी के प्रकाशित कहानी संग्रह हैं। ‘अंधे बहरे लोग’ आपका प्रकाशित लघुकथा संग्रह है। आपने चार कहानी संकलनों और दो लघुकथा संकलनों (‘काली माटी व ‘बुजुर्ग जीवन की लघुकथाएं’) का संपादन किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एव संकलनों में अनेकों लघुकथाएँ प्रकाशित। लघु-पत्रिका ‘समान्तर’ के लघुकथा विशेषांक का सम्पादन। समांतर, क्षितिज, संयोग साहित्य आदि पत्रिकाओं के सम्पादन में सहयोग। माता शरबती देवी स्मृति सम्मान (2009) सहित कई सम्मान।

परिवार संपर्क : 41, काउंटी पार्क, महालक्ष्मीनगर, किंग्स हॉस्पीटल रोड, इन्दौर-452010, म.प्र.


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