लघुकथा-विमर्श-2021/संतोष सुपेकर (सं.)

उत्कण्ठा के चलते (लघुकथा साक्षात्कार एवं विमर्श)

सम्पादन, संयोजन : सन्तोष सुपेकर 

ISBN : 

प्रथम संस्करण : 2021

मूल्य- ₹100/-

प्रकाशक :

एचआई पब्लिकेशन

302-303, तीसरी मंजिल, शान्ति प्लाजा, होटल समय के सामने, फ्रीगंज, उज्जैन (म.प्र.)- 456007

मो. 9754131415

अनुक्रम

1. सम्पादकीय

2. साक्षात्कारों से बदलेगा लघुकथा परिदृश्य

(डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल)

3. लघुकथा के सन्दर्भ में लेखक पाठक सवाद (डॉ. उमेश महादोषी)।

लघुकथा लेखक के लिए परकाया प्रदेश जरूरी (सतीश राठी)

5. थोड़े में बहुत कुछ कहने की जिम्मेदारी है लघुकथाकार की (डॉ. शैलेन्द्र कुमार शर्मा) 

16. अनुवाद से समृद्ध हो रही लघुकथा (अन्तरा करवड़े)

17. सम्पादक के तौर पर सबसे पहले लघुकथा का कथ्य, फिर उसमें निहित सामाजिकता (कान्ता रॉय)

8. आलोचना का काल्पनिक भय रोकता है सृजनात्मक सांसें (डॉ. पुरुषोत्तम दुबे)

9. स्त्री का सकारात्मक रुख भी लघुकथाओं के विषयों में हो (डॉ. वसुधा गाडगिळ)

10. अनुभवजन्य रचना को भी समष्टिगत, सार्वलौकिक बनाना आवश्यक (सूर्यकान्त नागर)

11. आवश्यकता है सोशल मीडिया के संक्रमण से विधाओं की रक्षा करने की (डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा)

12. अभिव्यक्ति में निहित संवेदनशीलता अत्यावश्यक (संदीप राशिनकर)

13. लघुकथा में साइस फिक्शन भी एक घटक हो (वर्षा हळवे)

14. लघुकथा में अनकहा यथार्थ पाठक को बहुत आकर्षित करता है। (संजय जौहरी)

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