लघुकथा संग्रह 2016/डॉ संध्या तिवारी
लघुकथा संग्रह : ततः किम्
कथाकार : संध्या तिवारी
प्रथम संस्करण : मुद्रित नहीं
आई.एस.बी.एन.: 978-81-933032-1-4
प्रकाशक : पोएट्री बुक बाजार, एफएफ-1379, लेखराज डालर, इन्द्रानगर, लखनऊ-16, उ.प्र. (भारत)
फोन : 91-9044001788/91-9935051610
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अनुक्रमणिका :
सांँकल
कठिना
सीलन
अन्तर
आदमी
योगमाया
राजा नंँगा है
क्या नाम दूंँ
दिल से दिल में
भंँवर
क्षेपक
फाँस
किसी भी कीमत पर
ठेंगा
बेचारे
मोह
तोरई बनाम काजू
जय हो भारत
न जाने कितनी मेरीकॉम
सदाबहार
कबाड़
हूक
छिन्नमस्ता
उफ्फ!!!
चप्पल के बहाने
खांई
बया और बन्दर
बिना सिर वाली लड़की
अवधि कितनी होगी?
वह
कुंठा
कब तक
आरक्षण
उर्वशी
शेखचिल्ली
!!!!!!!!!!!!????
पगली
बाबू
आदमकद आइना
लाक्षागृह
बेताल प्रश्न
खरपतवार
जड़
रुपया (रुपया का चिह्न)
नीलकंठी
छलावा
अड्ड
फिरताऊ
घुनी हुई औरतें
मवाली
थूक
आज का तथागत
रानी बिटिया
कौआ हड़उनी
तंज
आधी आबादी
दुकान
जय हो
नियति
थाप
झूला
दिठौना
इस अमेरिका की तो...
हरी बिल्ली
जहन्नुम
द अल्टीमेट फाइटर
कविता
सपनों का दरवाजा
मैं तो नाचूंँगी गूलर तले
ढ़कोसले
अलजबरा
संग्रह से एक प्रतिनिधि लघुकथा :
क्षेपक
रात्रि भोज के लिये खाने की मेज पर बैठे बैंक मैनेजर मिस्टर एस लाल पचास साल पीछे की सीढियाँ उतर गये, जब वह सुखिया हुआ करते थे। बस जब गाँव की पाठशाला में हाजिरी होती थी तब सुखलाल नाम सुनाई पड़ता था। नहीं तो ये सुख्खी, ये सुखिया ऐसे सम्बोधन ही अन्तरमन पर गुदे हुये थे। उसे अच्छी तरह याद है गाँव का नाम, सौंखिया था। लेकिन गाँव में जाति के आधार पर टोले बटें थे जैसे पसिया टोला, कुम्हारनटोला और उसका वाला था चमारन टोला।
उफ्फ!! झुरझुरी आ गई एस लाल को। पूरी खाल में चामरौधे की सडान्ध भिद गई।
‘खाना लगा दिया है’ पत्नी माया की आवाज से वह वर्तमान में लौटे।
‘कुसुम कहाँ है? खाना नहीं खायेगी क्या?’ एस लाल ने पूछा।
‘अपने कमरे में है, आती होगी। आज ऑफिस से देर से आयी थी। कह रही थी, ऑडिट है, थोडा काम करना है।’
‘हूंऽऽऊं। अरे वाह! आज तो पनीर और खीर दोनों मेरी मनपसन्द चीजें बनायीं हैं। क्या बात है, कुछ कहना है क्या?
‘जी!’ माया कुछ सकुचाते हुये बोली, ‘कुसुम के साथ एक लड़का काम करता है.. अच्छी पोस्ट पर है... और दोनों एक दूसरे को पसन्द भी करते है, आप कहें तो......?’
‘ठीक हैऽ ,ठीक हैऽ, भाई। हमें क्या आपत्ति हो सकती है।’ खीर गटकते हुये उन्होंने पत्नी को प्यार से देखा।
‘लेकिन वह..........’ पत्नी हकलायी।
‘लेकिन क्या?’ एस लाल विराम चिह्न से प्रश्नवाचक बन गये थे।
‘जी वह..... मु......स......ह....र’
अचानक खीर के बर्तन में सुअरों को अपनी थूथन घुसाते देख सुखिया से एस लाल बने सुखलाल अगिया बेताल बन गये।
डॉ. संध्या तिवारी
जन्मतिथि : 15 अक्टूबर 1970
उपलब्धियाँ : कविता, रेखाचित्र, संस्मरण, रिपोर्ताज, कहानी एवं लघुकथा विधाओं में सृजन। दो लघुकथा संग्रह तथा एक भावनात्मक-संस्मरणात्मक रचनाओं का संग्रह प्रकाशित। विभिन्न विधाओं का एक मिश्रित संकलन संपादित। हिन्दी की अनेक प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन एवं आकाशवाणी के बरेली केन्द्र से रचनाओं का प्रसारण।
सम्प्राप्ति : युवा लघुकथाकारों को देय दिशा प्रकाशन के ‘युवा दिशा सम्मान’ से सम्मानित। उ.प्र. के माननीय राज्यपाल के कर-कमलों द्वारा ‘ततः किम्’ नघुकथा संग्रह का लोकार्पण।
संपर्क : 41, बेनी चौधरी, पीलीभीत-262001, उ.प्र.
मो. 09410464495
ईमेल : sandhyat70@gmail.com
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