लघुकथा-संग्रह-2018/राधेश्याम भारतीय
कथाकार : राधेश्याम भारतीय
प्रथम संस्करण : 2018
ISBN : 978-93-87622-10-4
प्रकाशक : अयन प्रकाशन
1/20, महरौली, नई दिल्ली - 110 030
दूरभाष : 9818988613
e-mail : ayanprakashan@rediffmail.com website : www.ayanprakashan.com
मूल्य : 250.00 रुपये
लघुकथा-क्रम
1. काला अध्याय
2. सुख
3. चेहरे
4. पुल
5. आज़ादी - 1
6. सज़ा
7. बच्चे
8. घेरा
9. औरत
10. चोर
11. कोट
12. छवि
13. कलाकार
14. मेरा घर
15. एक दुखियारी माँ
16. खून का रिश्ता
17. कीचड़ में कमल
18. पगड़ी
19. औकात
20. गिद्ध
21. विषवृक्ष
22. विडम्बना
23. सूली
24. यक्षप्रश्न
25. प्रतिरूप
26. अपना घर
27. समाधान
28. रोटी की कीमत
29. मुआवज़ा
30. सज़ा
31. बदलता इतिहास
32. ज़िद
33. बड़ा हूँ ना!
34. हथियार
35. भूख
36. डर
37. सैनिक की ज़िन्दगी
38. बड़ी बहू
39. आतंक
40. साहस की जिंदगी
41. अपराधी
42. घुन
43. आज़ादी- 2
44. खिलवाड़
45. गणित
46. खुदा! मेरी आँखें ले ले
47. अबकी बार
48. नई परिभाषा
49. आत्मसुख
50. ईमानदारी के पुतले
51. चुप्पी
52. सैल्यूट
53. बिरादरी
54. आज का सुकरात
55. अनजाना डर
56. अर्द्धांगिनी
57. गो रक्षक
58. संस्कृति
59. तेल
60. षडयंत्र
61. समाजवाद
62. चुनाव
63. पीड़ा
64. दुःख
65. शीशा
66. अमरता
67. हँसी
68. अन्तिम इच्छा
69. मानसिकता
70. पागल माँ
71. खतरा
72. विद्वान
73. विश्वास
74, सपनों का राजकुमार
75. विश्वास की डोर
76. लड़ाई
77. मेहनताना
78. जिंदगी
●रामकुमार आत्रेय जी द्वारा लिखित भूमिका 'इन्सान की उम्मीदों और सपनों की लघुकथाएँ' का एक अंश :
अली विजेल नामक एक यहूदी दार्शनिक थे। उनका कहना था कि इन्सान उम्मीदों और सपनों के बिना जिन्दा नहीं रह सकता। कहने का तात्पर्य यह है कि जब तक इन्सान, चाहे वह कोई भी हो, जीवित है, तब तक वह सपने देखे बिना नहीं रह सकता। चाहे कितनी भी असफलताएँ अपनी क्रूर ठोकरों से उसे मारे, वह उम्मीद का दामन हमेशा थामे रहता है। वही उम्मीद उसे आगे बढ़ने, कुछ नया करने की प्रेरणा देती रहती है। उसी उम्मीद की अँगुली पकड़े छोटे-छोटे सपने उसके साथ ठीक उसी तरह चल रहे होते हैं, जिस तरह किसी बाज़ार अथवा मेले में कोई बच्चा अपनी माँ की अँगुली थामे निश्चिन्त होकर उसके साथ चलता रहता है। माँ भी खुश और बच्चा भी खुश । मेले की, बाज़ार की रौनक भी माँ और उसके बच्चों से बनी रहती है।
अली विजेल की इस उक्ति का स्मरण अनायास नहीं हुआ है। वास्तविकता यह है कि मैं डॉ. राधेश्याम भारतीय के दूसरे लघुकथा संग्रह की प्रस्तावना लिखने के लिए इसे पढ़वाकर सुन रहा था। इस संग्रह का नाम है 'कीचड़ में कमल'। इसी नाम से एक लघुकथा इस संग्रह में संकलित है।
संग्रह से एक लघुकथा 'अन्तिम इच्छा' :
रामसिंह की अर्थी सजकर तैयार थी। बड़ा बेटा अभी किसी गहरी सोच में डूबा था।
"बेटे, यह तो संसार का नियम है, जो आया सो जायेगा राजा हो या फकीर। अब देरी ठीक नहीं।" एक बुजुर्ग ने उसके पास आकर उसे समझाते हुए कहा।
“चलो बेटे, सूर्य डूबता जा रहा है।"
"दादा, मेरे बापू की अन्तिम इच्छा..." इतना कहते हुए वह इतना भावुक हो गया कि उससे आगे वह एक शब्द न बोल पाया।
“क्या? कुछ कहा था तुम्हारे बापू ने मरने से पहले?”
“हाँ दादा.... मेरे बापू जब खेतों में होते तो वहाँ की हरी-भरी फसलें देखकर बड़े खुश होते थे। अभी दो साल पहले की बात है। एक दिन गेहूँ की ढेरी में मुट्ठी भर अनाज को हवा में लहराते हुए कहा कहा था- चन्द्रभान, ये धरती माँ कितना धन देती है। हर प्राणी का पेट भरती है। चन्द्रभान, जब मैं इस संसार से जाऊँ तो मेरी राख इन खेतों में बिखेर देना... मैं खाद बनकर फसलों में फिर से मिल जाना चाहता हूँ।" चन्द्रभान बोले जा रहा था...
वहाँ एक बार फिर से सन्नाटा पसर गया।
"भाई, इसमें इतना क्या सोचना, परसो ‘फूल' उठेंगे, उन्हें गंगा में बहाने की बजाय खेत्यां म्ह बिखेर देयेंगे।" एक रिश्तेदार ने आगे बढ़कर अपनी बात कही।
"भाई साहब, इसी बात का तो रोना सै... जिन खेत्या म्ह आप फूल बिखेरण की बात कह रे.... वे खेत तो कब के चले गए भाई ।"
“न्यूँ क्यूँकर भाई?"
"बेटे, यह मतन्या पूछे.... सरकार सारी जमीन निगलगी.... वोड्ये तो आज बडी-बडी फैक्ट्री धूआँ छोड्ण लाग री।" एक बुजुर्ग ने दर्द-पगी आवाज में उस रिश्तेदार को विस्तार में बताया।
अब रिश्तेदार भी किसी सोच में पड़ गया।
राधेश्याम भारतीय
जन्मतिथि : 15 जुलाई 1974
जन्मस्थान : हसनपुर (करनाल)
शिक्षा : एम. ए हिंदी, एम. फिल., पीएच.डी. (हिंदी लघुकथाओं के आलोक में राष्ट्रीय चेतना)
प्रकाशित पुस्तकें : अभी बुरा समय नहीं आया है (लघुकथा संग्रह) है। सम्पादित कृति: हरियाणा से लघुकथाएं (विशेष सहयोग )
प्रकाशित रचनाएँ : हंस, कथाक्रम, कथादेश, साक्षात्कार, समावर्तन, शुभ तारिका, वर्तमान साहित्य, शीराजा, हिमप्रस्थ, उत्तर प्रदेश, हरिगंधा, कथासमय, साहित्य समर्था, अविराम साहित्यिकी, सादर इण्डिया आदि पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
पुरस्कार / सम्मान • प्रौढ़ शिक्षा विषय पर राष्ट्रीय स्तर की निबंध प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार। Wहरियाणा विकलांग एवं महिला विकास संघ की ओर से राज्य स्तरीय कविता प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान • साहित्य समर्था की ओर से श्रेष्ठ लघुकथा एवं श्रेष्ठ कहानी पुरस्कार । कथादेश द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता में तृतीय स्थान साहित्य सभा कैथल द्वारा स्वदेश दीपक स्मृति पुस्तक पुरस्कार।
● लघुकथाएं पंजाबी और मराठी में अनुवादित ।
• आकाशवाणी रोहतक, कुरुक्षेत्र एवं दूरदर्शन हिसार से लघुकथाएँ प्रसारित ।
सम्पर्क : नसीब विहार कालोनी घरौंडा करनाल- 132114
मोबाइल : 093153-82236
Email: rbhartiya74@gmail.com
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