लघुकथा संग्रह 2019/लिखी हुई इबारत
(डॉ उमेश महादोषी के सौजन्य से)
लघुकथा संग्रह : लिखी हुई इबारतकथाकार : ज्योत्स्ना कपिल
प्रथम संस्करण : 2019
आई.एस.बी.एन.: 978-93-88471-684-8
प्रकाशक : अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030
फोन : 09818988613
ईमेल : ayanprakashan@gmail.com
वेबसाइट : www.ayanprakashan.com
अनुक्रमणिका :
01. चुनौती
02. रोबोट
03. मिठाई
04. कब तक?
05. मुफ्त शिविर
06. किस ओर?
07. लिखी हुई इबारत
08. एक और द्रौपदी
09. दंड
10. ममता
11. श्वान चरित
12. प्रतिकार
13. दंश
14. विडम्बना
15. खिसियानी बिल्ली...
16. आईना
17. कश्मकश
18. कुपात्र
19. खाली हाथ
20. प्रेम की बन्द गली
21. स्वाभिमान
22. मासूम कौन
23. कृष्ण चरित
24. आशा की किरण
25. पुरुषत्व
26. नज़रिया
27. लाल किला
28. भेड़िया
29. हिसाब
30. कमज़र्फ
31. हरे काँच की चूड़ियाँ
32. हालात
33. भयाक्रांत
34. बारूद से जन्नत तक
35. चार दिन की..,
36. भगवान या भूख
37. रंग
38. अहसास
39. नया आसमान
40. बुज़दिल
41. काश मैं रुक जाता
42. बुनियाद
43. चेतना शून्य
44. टूटते कगार
45. फ़ितरत शिकारी
46. मुक्त गगन में
47. बदलते चेहरे
48. स्टिंग ऑपरेशन
49. संकल्प
50. बेबसी
51. खाप पंचायत
52. बाँझ
53. सौदेबाजी
54. इंसाफ़
55. तमसो मा ज्योतिर्गम्य
संग्रह से एक प्रतिनिधि लघुकथा :
बुज़दिल
‘‘क्या बात है श्रवण, बहुत परेशान दिख रहे हो? सब ठीक तो है न?’’ उसे भोजन को बस अनिच्छा से कुतरता देखकर अनु ने प्रश्न किया।
‘‘हाँ अनु, सब ठीक है।’’
‘‘मुझे लगा था कि बेशक हम जीवनसाथी न बन पाये पर अच्छे मित्र तो हमेशा रहेंगे।’’ उसने शिकायत की।
‘‘इसमें कोई शक ही नहीं अनु, हम अब भी अच्छे मित्र हैं।’’ श्रवण ने उनका मनुहार किया।
‘‘तो फिर बताओ न कि इतने उखड़े हुए क्यों नज़र आ रहे हो?’’
‘‘तुम ये तो जानती ही हो कि मेरे विवाह को कई वर्ष बीत गये।’’
‘‘हाँ तो?’’
‘‘पर अब भी हम निसन्तान हैं। इस बात को लेकर माँ और दादी जब देखो तब मानसी को ताने देती रहती हैं।’’
‘‘किसी डॉक्टर से मिले तुम?’’
‘‘सारे चेकअप करवा लिये, कुछ भी समस्या नहीं निकली। घर का माहौल बहुत खराब हो गया है। हर वक़्त के ताने, मानसी का रोना... मन बहुत खराब हो जाता है मेरा।’’
‘‘क्या तुम यह सोचते हो कि इसमें मानसी की कोई गलती है?’’
‘‘नहीं, ऐसा तो नहीं।’’
‘‘तो माँ और दादी से कहते क्यों नहीं कि औरत भी एक इंसान है, कोई बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं।’’
‘‘अब तो दादी मेरी दूसरी शादी की बात भी करने लगी हैं। जी चाहता है घर छोड़कर कहीं चला जाऊँ।’’ उसकी बात का जवाब न देकर श्रवण ने आगे कहा।
‘‘तो बच्चा गोद ले लो।’’
‘‘पर वह अपना खून तो नहीं होगा।’’
‘‘क्यों, तुम्हारे खून में ऐसी कौन-सी बात है, जिसका चलना इतना ज़रूरी है?’’
‘‘अरे! क्या बात कर रही हो?’’
‘‘नहीं बताओ न, तुम्हारे खून में स्पेशल क्या है? कौन से महाराणा प्रताप या शिवाजी तुम्हारे यहाँ पैदा हुए हैं?’’
‘‘बेकार की बात मत करो।’’ अब वह झुँझला गया था।
‘‘तुम्हारे वंश का चलना इतना ज़रूरी क्यों है? एक ऐसा बुज़दिल, जो बेहिसाब मोहब्बत के बावजूद भी घरवालों की मर्जी के खिलाफ अपनी पसंद की लड़की से शादी की हिम्मत नहीं जुटा पाया, जो अपनी बेगुनाह बीवी के साथ नहीं खड़ा हो पा रहा।’’
वह खामोश रह गया।
‘‘अरे आईवीएफ तकनीक है, और भी कई रास्ते हैं। अगर इस बार तुमने अपनी पत्नी का साथ नहीं दिया तो ईश्वर भी तुम्हंे माफ़ नहीं करेगा।’’
कुछ देर वह सर झुकाये सोचता रहा। अनु भी खामोश रही। फिर वह उठ खड़ा हुआ, ‘‘चलता हूँ, कोशिश करूँगा कि गलत हालात को सही कर सकूँ।’’
‘‘ऑल द बेस्ट!’’ अनु सन्तोष के साथ मुस्कुरा दी। (सृजन: 12.07.2016)
द 18- ए, विक्रमादित्य पुरी, स्टेट बैंक कॉलोनी, बरेली-243005, उ.प्र./मो. 09412291372
ज्योत्स्ना ‘कपिल’
जन्मतिथि : 02 अगस्त 1974 (लखनऊ)।
उपलब्धियाँ : कथा साहित्य की तीनों विधाओं- उपन्यास, कहानी एवं लघुकथा में सृजन। एक कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह प्रकाशित। वेबसाइट पर उपन्यास प्रकाशित। दो लघुकथा संकलन संपादित। हिन्दी की अनेक प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन एवं आकाशवाणी के बरेली केन्द्र से रचनाओं का प्रसारण।
सम्प्राप्ति : कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
संपर्क : 18-ए, विक्रमादित्यपुरी, स्टेट बैंक कॉलोनी, बरेली-243005, उ.प्र.
मो. 09412291372
ईमेल : jyotysingh.js@gmail.com
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