खिड़की का दु:ख-2021/राधेश्याम भारतीय

लघुकथा-संग्रह  : खिड़की का दु:ख

कथाकार  : राधेश्याम भारतीय 

इस पुस्तक का प्राप्ति-स्थान : राधेश्याम भारतीय, नसीब विहार कालोनी, घरौंडा करनाल- 132114 (हरियाणा)         

मो. : 9315382236 

ई-मेल : rbhartiya74@gmail.com

कुल पृष्ठ  : 40               मूल्य  : ₹ 40/- 

'मन की बात' शीर्षक लेखकीय भूमिका :

लघुकथा ने पाठक वर्ग के बीच एक विशेष स्थान बना लिया है। आज वह जिस तरह से पाठकों से संवाद करती है, उसी तरह पाठक भी उससे उतना ही जुड़ाव महसूस करता है। आज वह समाज के हाशिए पर पहुँचा दिए गए लोगों की आवाज बनती है। मजदूर के पसीने की कीमत अदा करवाने की बात करती है। किसान की हमजोली बन उसके दुःख दर्द बाँटती है। वह बेरोजगारी की चक्की में पिस रहे युवावर्ग के लिए लड़ती है। वह समाज में चली आ रही विडम्बनाओं, विसंगतियों, रूढ़िवादी परम्पराओं पर करारा प्रहार करती है। वह गिरगिट की तरह रंग बदलते नेताओं को बेपर्दा करती है। नारी के साथ खड़ी होकर उसकी ताकत बनती है। वह दलित वर्ग के साथ हो रहे भेदभाव की गवाह बनती है। वह बुजुर्गों के साथ होते अमानवीय व्यवहार की कारुणिक पुकार बनती है। अब वह समय के साथ कदमताल करती हुई वैश्वीकरण की खबर लेने लगी है। वह कम शब्दों में अधिक बात कहने में समर्थ है, जो आज के समय की माँग भी है, इसका गुण भी है और इसकी ताकत भी। इसलिए मुझे इस विधा में लिखकर आनन्द की अनुभूति होती है।

दो लघुकथा संग्रहों 'अभी बुरा समय नहीं आया है' और 'कीचड़ में कमल' के बाद, यह तीसरा लघुकथा संग्रह 'खिड़की का दुःख' आप सुधी पाठकों के हाथों में सौपते हुए मुझे हर्ष की अनुभूति हो रही है ।

इस संग्रह के प्रकाशन पर मुझे श्रद्धेय रामकुमार आत्रेय याद आ रहे हैं। उनका मुझ पर सदैव आशीर्वाद बना रहा। मैं कृतज्ञ हूँ डॉ. अशोक भाटिया जी का जिन्होंने मुझे साहित्य को समझने की सीख दी। मैं, समय-समय पर अपनी बेबाक राय देकर मेरे लेखन में सुधार करवाने वाले अपने सभी मित्रगणों का भी आभारी हूँ।

लघुकथाएँ

धरोहर

कमी

सम्मान

लेखक की पत्नी का इन्टरव्यू

दो सहेली

विरासत

खिड़की का दुःख

मुस्कान का राज

कसूर

अपराध

फैसला

वृक्ष 

धुआँ-धुआँ...

दवा

खतरे से बाहर

दूब

निर्यात

सुरक्षा

केसरिया        

डर

समर्पण

कद

राज

एक गिलास पानी

अन्तिम इच्छा

च्विंगम

हकदार

कलाकार

जाल

रसोई 

असली ज्ञान

बिखरे पंख

बेताल का आखिरी सवाल

घर

आत्मसुख

एक बार फिर कहो...

धर्म

राधेश्याम भारतीय 

                      


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वसुधा करे पुकार / कपिल शास्त्री (संपादक)

लघुकथा ट्रेवल्स / प्रबोध कुमार गोविल (संपादक)

क्षितिज/सतीश राठी-दीपक गिरकर