वर्चुअल रैली /सुरेश सौरभ

लघुकथा-संग्रह  : वर्चुअल रैली 

कथाकार  : सुरेश सौरभ 

स्वत्त्वाधिकार : सुरेश सौरभ

प्रथम संस्करण : 2021

ISBN: 978-93-86330-77-2

(आई एस बी एन प्रायोजक: ओसियन पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली-110053)

इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड मुख्यालय सी-122, सेक्टर 19, नोएडा, 201301 : गौतमबुद्ध नगर (एन. सी. आर. दिल्ली) 

फोन: +91 120437693, 

मोबाइल +91 9873561825 

ई-मेल: indianethooks@gmail.com website: www.indianetbooks.com

अनुक्रम

कौन-कहाँ

1. परदेसी बहन की राखी 

2. एक था कल्लू

3. माँ का सहारा

4. मजदूर

5. अनदेखा

6. धोखा

7. वर्चुअल रैली

8. बलि का बकरा

9. अफसोस आनलाइन का

10. एक हाथी की चिट्ठी 

11. मान-अपमान

12. सिर्री कहीं का

13. किस्मत

14. उम्मीदों की छूटी रेल

15. दो कुत्तों की वार्ता 

16. आग

17. सब्जी वाला

18. अपने-अपने रास्ते

19. ताप

20. फेरी वाला

21. हाय! कोरोना

22. प्यास

23. परिवर्तन

24. अनजान रिश्ते

25. बहरुपिया

26. अपने-अपने धंधे

27. शरारत

28 गप

29. आग-फूस

30. सोच

31. डॉक्टर का दर्द

32. देवर भाभी

33. सालगिरह

34. ट्यूटर

35. कुछ खो गया

36. फकीरी

37. पतंगें

38. तीन पत्ते

39. मुठभेड़

40. माँ की पेंशन

41. तार

42. खजांची आए

43. प्रार्थना

44. एक पाती आपके नाम

45. आशियाना

46. दौलत

47. नेग

48. एक आत्मा की चिट्ठी

49. रोटी

50. पुनर्जन्म

51. लत

52. भूख और योग

53. महानायक

54. गरीब की बुझी बाती

55. पेपर वाला

56. भूरा छूट गया

57. कायापलट

58. पुराने पाप

59. नकाब

60. नसीहत

61. पत्ता

62. मजदूरन

63. चाँदनी की बेरुखी

64. जंगल

65. दो शराबी

66, शिक्षा में कोरोना

67. विचारक

68. पैसा

69. पोहत जी का प्राश्यचित्त 

70. बिकाऊ माल

71. कटेनमेंट जॉन में प्रेम

'छोटी तहरीर' शीर्षक से लेखकीय भूमिका 

प्रिय पाठक आप को सादर प्रणाम। यह संग्रह आप को सौंप कर बहुत सुकून महसूस कर रहा हूँ। इस संग्रह की लघुकथाएँ दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, जनवाणी पंजाब केसारी, पाखी, विभोम स्वर, हम हिन्दुस्तानी, जैसे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मशहूर पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकीं हैं। आज सोशल मीडिया के दौर में लघुकथा बेहद चर्चित विधा के रूप में प्रतिष्ठित हो चुकी हैं। हर लघुकथाकार की यह कोशिश रहती है कि वह बड़ी से बड़ी बात को कम शब्दों से इस तरह से सजा कर कह जाए कि पाठक के मुँह से अनायास ही निकल पड़े अरे वाह! क्या बात है... अपने आसपास कथानकों को लेकर मैंने भी प्रयास किया है। कितना सफल या असफल रहा हूँ, यह तो आप की प्रतिक्रियाएँ ही बताएँगी। इस संग्रह को लाने के लिए मशहूर लघुकथाकार परम मित्र डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी का बहुत प्रोत्साहन मिला, जिसके लिए हम उन्हें हार्दिक धन्यवाद प्रेषित करतें हैं। पिछले बीस साल टूटा-फूटा लिख रहा हूँ। इस दौरान तमाम लोगों का आत्मीय स्नेह मिलता रहा, नाम अधिक हैं पर कुछ ही गिना पा रहा हूँ। जिनमें साहित्यकार सुकेश सहानी जी, चित्तरंजन गोप जी, उमेश महादोषी जी, संजीव जायसवाल संजय जी, मीरा जैन जी, डॉ. प्रदीप उपाध्याय, रमाकांत बौद्ध जी, डीके भास्कर जी गोपेन्द्र गौतम जी, व अन्य विद्वानों में सत्यप्रकाश 'शिक्षक', डॉ. राकेश माथुर, नीरज श्रीवास्तव, जोगिन्दर सिंह चावला आदि। मेरे असल समीक्षक मेरे पाठक ही हैं। किसी भी पाठक के हृदय को अगर मेरी एक लाइन भी छू जाएगी, तो मैं समझँगा, मेरा कलम घिसना कुछ सार्थक हुआ।

- आपका

सुरेश सौरभ

पता- निर्मल नगर, लखीमपुर खीरी, यूपी, पिन- 262701

मो. 7376236066

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