मधुदीप केंद्रित विशेषांक-2023 / उमेश महादोषी (संपादक)

पत्रिका : अविराम साहित्यिकी (जनवरी-मार्च।                   2023)

संपादक  : डाॅ. उमेश महादोषी

।।माइक पर / उमेश महादोषी।।

■ मधुदीप जी दैहिक रूप में आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु क्या हममें से कोई कह सकता है कि मधुदीप जी आज हमारे बीच नहीं हैं? निश्चित रूप से नहीं! एक सुगन्ध है, जिसमें वे हैं। एक भावना है, जिसमें वे हैं और भावना का प्रेरक जो यथार्थ है, उसमें भी वे हैं। वास्तविकता तो यह है कि यथार्थ ने ही उन्हें जीवन देकर भावना के उन्नयन और सुगन्ध के विस्तार में समाहित किया। यदि ऐसा नहीं होता तो इक्कीसवीं सदी में किसी ने उनका नाम नहीं सुना होता। सेतु हेतु और परिणाम के पड़ावों से गुजरती यात्रा के साक्षी बिरले ही बन पाते हैं। मधुदीप जी के सन्दर्भ में लघुकथा श्रृंखला पड़ाव और पड़ताल उतना महत्वपूर्ण नहीं है, महत्त्वपूर्ण दिशा प्रकाशन, दिशा सम्मान भी नहीं हैं, महत्वपूर्ण 'नमिता सिंह के माध्यम से लघुकथा के पात्रों की सक्रियता एवं साहस का रेखांकन भी नहीं है, 'लघुकथा के समीक्षा - बिन्दु के माध्यम से लघुकथा को विभिन्न कोणों से समझने का आधार भी महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह भी नहीं है कि उन्होंने लघुकथा में कितनी प्रतिभाओं को रेखांकित किया या उन्होंने अपने सृजन एवं सम्पादन से लघुकथा में कितने सरोकारों को उभारा। अधिक महत्वपूर्ण है इस सबकी आवश्यकता को समझना और उस समझ को एक वेगवान प्रवाह का आकार देने के लिए साहस की आवश्यकता को दर्शाना महत्वपूर्ण है- जो नहीं है, उसकी कल्पना करना महत्वपूर्ण है- संकल्पों और सिद्दत की परिधि को विस्तार देना। 1995 में चादर तानकर सो गये मधुदीप जी 2013 में जिस बेचैनी की मुद्रा में वापस लौटे थे अक्षत ऊर्जा भण्डार के साथ उस बेचैनी के पीछे ये और ऐसी ही महत्वपूर्ण चीजें थीं। मधुदीप जी को हम इसी के लिए जानेंगे। इसी के लिए वे हमारे बीच रहेंगे। भले मेरा अध्ययन बहुत व्यापक नहीं है तदापि मेरी जिज्ञासा यह जानने में रहेगी कि ऊर्जा, समझ और साहस का यह सम्मिश्रण भारतेन्दु हरिश्चंद के बाद और किन-किन साहित्यिक व्यक्तित्वों में रहा होगा। 
■मधुदीप जी की योजनाओं में अनेक मित्र सहभागी बने, अनेक मित्रों का अविस्मरणीय सहयोग उन्हें मिला किन्तु एक सहयोगी, प्रेरक व प्रोत्साहक की भूमिका में डॉ. बलराम अग्रवाल उनके साथ कदम-कदम पर देखे गये। एक बात और, मधुदीप जी मुझसे कई बार साझा करते थे, श्रद्धेय डॉ. कमल किशोर गोयनका साहब ने जैसा और जितना प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन इस यात्रा में दिया, वह अतुलनीय है। लघुकथा के सच्चे हितैषी डॉ. गोयनका साहब ने 'लघुकथा का समय पुस्तक में मधुदीप जी व लघुकथा के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं, इसी दृष्टि से उनके आलेख को उनके ग्रंथ से साभार प्रस्तुत किया है। 
■ लघुकथा में मधुदीप जी का महत्व सम्पादन एवं अन्य योजनाओं तक ही सीमित नहीं है. लघुकथा-सृजन में उनकी प्रतिभा एवं मौलिकता भी असंदिग्ध है। उसे कमतर नहीं आँका जा सकता। उनकी शैली और प्रस्तुतीकरण अन्यों से बहुत भिन्न है। इस पर अधिकांश मित्रों ने अपने आलेखों में प्रकाश डाला है। येनकेन प्रकारेण मधुदीप जी से जुड़ी सभी आवश्यक बातें किसी न किसी आलेख का हिस्सा बन गयी हैं। 'मधुदीप लघुकथा-सृजन के विविध आयाम ग्रंथ से भी कुछ आलेखों के प्रमुख अंशों (संक्षिप्तीकरण के रूप में) का उपयोग इस अंक में किया गया है, उनके लेखकों सहित सहयोग के लिए सभी मित्रों का आभार! 
■ आर. एन.आई. का पंजीयन समय पर समर्पित हो सका तो यह अंक अविराम साहित्यिकी का अंतिम अंक होगा। किन्तु इण्टरनेट पर अविराम ब्लॉग, यूट्यूब (अविरामवाणी) एवं अन्य योजनाओं के माध्यम से हमारा रिश्ता बना रहेगा। जो आजीवन सदस्य अपना आनुपातिक शुल्क वापस लेना चाहें, वे ईमेल या वाट्सएप 9458029004 पर संपर्क कर सकते हैं।■

।। सामग्री ।।
लघुकथा में (स्मृतिशेष ) मधुदीप जी के 
योगदान पर केन्द्रित आयोजन
भावभूमि की पृष्ठभूमि (3)
विशेष आलेख
डॉ. कमल किशोर गोयनका (4)
मित्रों के स्मृति पटल पर
भगीरथ परिहार (8)
डॉ. बलराम अग्रवाल (9)
प्रो. बी. एल. आच्छा (13)
प्रो. प्रबोध कुमार गोविल (17)
कुमार नरेन्द्र (18) 
अशोक वर्मा (21)
सन्तोष सुपेकर (22)
डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी (23)
डॉ. लता अग्रवाल 'तुलजा' (25)
अंतरा करवड़े (27)
सुधीर (28)
संस्मरणात्मक कहानी
मधुकान्त (29)
लघुकथा-सृजन के आयाम
डॉ. सतीश दुबे (33)
सूर्यकान्त नागर (35) 
डॉ. अनीता राकेश (38)
डॉ. शोभा जैन (42)
डॉ. जितेन्द्र 'जीतू' (47)
डॉ. ध्रुव कुमार (62)
डॉ. पुरुषोत्तम दुबे (58)
डॉ. शील कौशिक (60)
शराफत अली खान (63) 
शशि बंसल गोयल (65) 
ज्योत्स्ना कपिल (74)
दिव्या शर्मा (68) 
डॉ. संध्या तिवारी (71)
छाया दृष्टि
मधुदीप जी की साहित्यिक यात्रा के कुछ चित्रात्मक पड़ाव (76 व आवरण 4) 
मधुदीप जी का लघुकथा सृजन
'मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ' एवं 'मधुदीप : लघुकथा - सृजन के विभिध आयाम' से मधुदीप की 20 लघुकथाएँ (80)
कथा प्रवाह (कुछ लघुकथाएँ) 
कुमार नरेन्द्र / संतोष सुपेकर (92)
पुष्पा मेहरा ( 93 )
स्तम्भ
माइक पर : संपादकीय (आवरण 2 )
गतिविधियाँ (95) 
प्राप्ति स्वीकार (आवरण 3)
।।भावभूमि की पृष्ठभूमि ।।
(मधुदीप जी अपने व्यक्तित्व, रचनात्मकता और सम्पादन सभी स्तरों पर लघुकथा की सभी पीढ़ियों के मध्य न केवल लोकप्रिय हुए सभी के चहेते और प्रेरक भी बने। ऐसे में उनके जैसे शिखर पुरुष के परिचय की औपचारिकता का उद्देश्य शोधादि के दृष्टिगत अकादमिक सन्दर्भ की अपेक्षा पूर्ति से अधिक कुछ नहीं हो सकता। हम इसी विनम्र भाव को हृदयस्थ करके उनके संक्षिप्त जीवन-वृत्त को प्रस्तुत कर रहे हैं।]

मधुदीप

पारिवारिक / अभिलेखीय नाम : महावीर प्रसाद गुप्ता 
जन्म : 01.05.1950 को दुजाना, हरियाणा में ।
देहावसान : 11.01.2022. दिल्ली के एक अस्पताल में ।
शिक्षा : स्नातक (कला) ।
माता : श्रीमती धनवन्ती देवी 
पिता : श्री भगवान दास 
जीवन 
सहचरी : श्रीमती शकुन्तला गुप्ता उर्फ शकुन्त दीप भाई-बहनें : स्वयं सहित दो भाई व छः बहिनों में सबसे बड़े । 
परिवार : इष्ट मित्र और सम्बन्धी । 
लेखन / प्रकाशन / योगदान :
मूल लेखन विधा : लघुकथा / अन्य प्रमुख विधाएँ: कहानी, उपन्यास एवं कविता । मौलिक प्रकाशित पुस्तकें : लघुकथा संग्रह- मेरी बात तेरी बात समय का पहिया... एवं मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ (पुस्तकाकार अनुवाद- बृज भाषा में रजनीश दीक्षित/अंग्रेजी में : डॉ. हेमंत गहलोत) । मधुदीप की 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल (लघुकथा संग्रह व मूल्यांकन, संपादक डॉ. उमेश महादोषी / अंग्रेजी में 66 laghukathas by Madhudeep, Translated by Dr Hemant Gahlot)। छोटा होता आदमी (कहानी संग्रह), हिस्स का दूध (कहानी व लघुकथा संग्रह ) । एक यात्रा अन्तहीन, उजाले की ओर, और भोर भई, पराभव, लौटने तक एवं कल की बात / अंग्रेजी में It was Yesterday (उपन्यास), ऐसे बनो बहादुर (बाल उपन्यास) । शुभ प्रभात, Love You! ( कविता संग्रह, अंग्रेजी अनुवाद कल्पना भट्ट) ।

संपादन : तनी हुई मुट्ठियाँ व नई सदी की धमक (लघुकथा संकलन), पड़ाव और पड़ताल (लघुकथा एवं समालोचना संकलन श्रृंखला) के प्रकाशित 31 में से 24 खण्डों का सम्पादन, दो सम्पादित खण्ड अप्रकाशित सभी 33 खण्डों का संयोजन तीसरा महायुद्ध, आसरा व एक कदम और (कहानी संकलन)। लघुकथा के समीक्षा - बिन्दु (समालोचना सिद्वान्त), 'लघुकथा की पडताल' खण्ड-1 (पड़ाव और पड़ताल के पहले 15 खंडों की समीक्षा)। दूसरा खण्ड अप्रकाशित। विश्व हिन्दी लघुकथाकार निर्देशिका (सक्रिय लघुकथाकारों का सम्पर्क- संचयन ) । विश्व हिन्दी लघुकथाकार कोश' (लघुकथाकारों का परिचय-कोश, सम्पादन डॉ. बलराम अग्रवाल के साथ) । 
विशेष: 1. मधुदीप की नमिता सिंह (लघुकथा 'नमिता सिंह की 53 समीक्षकों द्वारा समीक्षाएँ, सम्पादक : डॉ. मधुकान्त) ।
2. मधुदीप लघुकथा - सृजन के विविध आयाम (मधुदीप के लघुकथा - सृजन एवं सम्पादन कर्म का मूल्यांकन, सम्पादक: डॉ. उमेश महादोषी ) । 3. लघुकथा के उन्नयन हेतु 'दिशा सम्मान' (वरिष्ठ लघुकथाकारों को देय) तथा 'युवा दिशा सम्मान (नए लघुकथाकारों को देय) की स्थापना 
4. दिशा प्रकाशन के माध्यम से लघुकथा के उन्नयन हेतु लघुकथा संकलन श्रृंखला 'मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ को प्रोन्नत किया। 
5. नये लघुकथाकारों के लिए 'शकुन्तदीप स्मृति लघुकथा संग्रह प्रकाशन योजना क्रियान्वित ।
इण्टरनेट पर मधुदीप जी की पुस्तकें : इण्टरनेट पर डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी के सहयोग से पड़ाव और पड़ताल के सभी प्रकाशित ( 31 ) खण्डों की पीडीएफ इस लिंक पर निःशुल्क उपलब्ध हैं—- http://laghukathaduniya.blogspot.com/2021/08/1-31.html / अन्य पुस्तकें- http://booksdisha.blogspot.com लिंक पर हैं । 
शोध कार्य : मधुदीप जी के उपन्यासों व लघुकथाओं पर कई लघु शोधप्रबंध एवं मधुदीप जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर पीएच.डी. हेतु शोधकार्य । 
प्रमुख सम्मान : साहित्यकारों द्वारा पोषित / संचालित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित । 
सम्प्रति : दिल्ली नगर निगम से 2010 में सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णतः साहित्य सृजन, सम्पादन एवं दिशा प्रकाशन के माध्यम से अच्छे साहित्य के उन्नयन हेतु समर्पित रहे । 
सम्पर्क : इष्टमित्र व सम्बन्धी, जिन्होंने उनके साहित्य और स्मृतियों को संजोकर रखा है।

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