आ अब लौट चलें-2021/डॉ. ऋचा शर्मा
लघुकथा-संग्रह : आ अब लौट चलें कथाकार : डॉ. ऋचा शर्मा ISBN No. : 978-81-921563-5-4 © कॉपीराइट : लेखक प्रकाशक : विश्व हिंदी साहित्य परिषद एडी-94/डी, शालीमार बाग, दिल्ली-110088 दूरभाष 09811184393, 011-47481521 email: vhspindia@gmail.com मुद्रक : एपेक बिजनेस सोल्यूशन्स प्रा. लि. 4653/21, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली। प्रथम संस्करण : 2021 कुल पृष्ठ : 100 मूल्य : 200 अनुक्रम सलमा बनाम सोन चिरैया वही आँखें सदा सुहागिन भूख भारत की भी सोचो, भाई! हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के... सीखो ना इनसे मैडम! कुछ करो ना मैडम! चलता है ये सब बीमा पॉलिसी बरसी मसीहा कौन ? हँसते-रोते तो सभी हैं पर बदलाव भेड़िए बाँटने से बढ़ता है विडंबना बेड़ियाँ स्वाभिमानी माई साज़िश सोच आ अब लौट चलें सवाल एक मजदूर का गलत सवाल ? माँ आज भी गाती है मन के जीते जीत माँ दूसरी तो बाप तीसरा तुम संस्कृति हो ना? पौध संवेदनहीनता की अपना घर टीचर के नाम एक पत्र दिया हुआ वापस आता है गणेश चौथ जीवन कैसा हो ? आ अब लौट चलें झूठी आधुनिकता नया पाठ कबिरा आप उगाइए ग्रहण पचास पार की औरत कोरोना चला जाएगा, ...