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मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आ अब लौट चलें-2021/डॉ. ऋचा शर्मा

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लघुकथा-संग्रह  : आ अब लौट चलें कथाकार  : डॉ. ऋचा शर्मा  ISBN No. : 978-81-921563-5-4 © कॉपीराइट : लेखक प्रकाशक : विश्व हिंदी साहित्य परिषद  एडी-94/डी, शालीमार बाग, दिल्ली-110088  दूरभाष 09811184393, 011-47481521 email: vhspindia@gmail.com मुद्रक : एपेक बिजनेस सोल्यूशन्स प्रा. लि. 4653/21, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली। प्रथम संस्करण : 2021 कुल पृष्ठ : 100 मूल्य : 200 अनुक्रम सलमा बनाम सोन चिरैया वही आँखें सदा सुहागिन भूख भारत की भी सोचो, भाई! हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के... सीखो ना इनसे मैडम! कुछ करो ना मैडम! चलता है ये सब बीमा पॉलिसी बरसी मसीहा कौन ? हँसते-रोते तो सभी हैं पर बदलाव भेड़िए बाँटने से बढ़ता है विडंबना बेड़ियाँ स्वाभिमानी माई साज़िश सोच आ अब लौट चलें सवाल एक मजदूर का गलत सवाल ? माँ आज भी गाती है मन के जीते जीत माँ दूसरी तो बाप तीसरा तुम संस्कृति हो ना? पौध संवेदनहीनता की अपना घर टीचर के नाम एक पत्र दिया हुआ वापस आता है गणेश चौथ जीवन कैसा हो ? आ अब लौट चलें झूठी आधुनिकता नया पाठ कबिरा आप उगाइए ग्रहण पचास पार की औरत  कोरोना चला जाएगा,  ...

प्राची (लघुकथा-विशेषांक, जन.-मार्च 2022) / कुंवर प्रेमिल (डॉ)

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संपादक का नाम : राकेश भ्रमर  जन्म तिथि : 01-01-56 अतिथि संपादक :  डॉ कुंवर प्रेमिल जन्मतिथि : 31-3-47 जन्म स्थान : संपादक--रायबरेली (उत्तर प्रदेश) अतिथि संपादक--ग्राम टुइयापानी, मध्य प्रदेश लघुकथा विशेषांक : प्राची मासिकी प्रकाशन वर्ष : जनवरी-मार्च २०२२ (संयुक्तांक) RNI NO. MP/HIN/2010/36142 इस अंक में वर्ष 12 / अंक 8-10 / जनवरी-मार्च 2022 T : 09278720311 सहायक संपादक : डॉ. भावना शुक्ल  Email : bhavanasharma30@gmail.com संपादक राकेश भ्रमर मो. 09968020930 Email : rakeshbhramar@rediffmail.com प्रकाशक व प्रबन्ध संपादक श्रीमती किरन वर्मा संपादन - संचालन पूर्णतया अवैतनिक, अव्यावसायिक सम्पादकीय पता 96-सी, प्रथम तल, डीडीए फ्लैट्स, पॉकेट-1, मयूर विहार फेज-1, दिल्ली-110091 Email:- prachimasik@gmail.com लेख-आलेख एवं विविधा लघुकथाएं क्यों और किसलिए (संपादकीय) डा कुंवर प्रेमिल लघुकथा का स्वरूप एवं सार्थकता (लघुलेख) डा रामनिवास मानव लघुकथाएं ------------ डा रामनिवास मानव-०५ डा बलराम अग्रवाल-०६ डा प्रतापसिंह सोढ़ी-०७ डा प्रदीप शशांक-८ डा योगेंद्र नाथ शुक्ल-०८ ओम प्रकाश क्षत्रिय 'प्रक...

ब्रीफकेस-2022/नेतराम भारती

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पुस्तक का नाम : ' ब्रीफ़केस ' (लघुकथा-संग्रह) लघुकथाकार का नाम : नेतराम भारती प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नई दिल्ली  प्रकाशन वर्ष : 2022 पृष्ठ संख्या : 160 कुल लघुकथाएं : 83 ISBN: 978-93-91378-02-8 अनुक्रमणिका 1. रसीदी टिकट 2. सदमा 3. ब्रीफकेस 4. नये पिता  5. फ़रिश्ता 6. इडियट को थैंक्स 7. आख़िरी पतंग 8. पत्नी ने कहा था 9. बुजुर्ग का चुंबन  10. शब्दहीन अभिव्यक्ति 11. मैडम सिल्विया 12. कान और मुँह 13. बेड नंबर 118 14. ऑनलाइन-ऑफलाइन 15. एक सत्य यह भी 16. संवेदना की वेदना 17. सफ़ेद कोठी 18. चुनावी कमीज़ 19. चित्र और वाक्य 20. शादी बिन बराती 21. गंदा शहर 22. जिंदा है मुर्दा 23. पूंजी 24. वाट्स अप मैसेज 25. वह औरत... 26. बाल-बाल बचा... 27. संदीप की माँ  28. बेचारी रामप्यारी 29. मुहिम 30. काँच का टुकड़ा 31. ओलावृष्टि 32. शिष्टाचार 33. समोसा पार्टी 34. अज्ञानी औरत 35. समझदारी 36. शत्रु- संहार 37. कविता का प्रभाव 38. क्रॉकरी या जीवन 39. कोहु नृप होय हमें का हानि 40. खरोंच की कीमत 41. बस इतनी-सी बात! 42. गुडलुकिंग एण्ड फेयर स्किंड 43. यूज एंड थ्रो 44. पत्नी और बुजुर्ग 45. रावण में ...

मधुकांत की लघुकथाएँ एक समीक्षात्मक अध्ययन-2022 / प्रो. पुष्पा

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पुस्तक  :  मधुकांत की लघुकथाएँ एक समीक्षात्मक अध्ययन लेखक : प्रो. पुष्पा ISBN : 978-81-952068-2-7 © : लेखक प्रकाशक : कृष्णा पब्लिशिंग हाउस, ए-49, तृतीय तल, गली नं. 6, जगतपुरी एक्सटेंशन, दिल्ली - 110093 मो.   0-8851868441 Email   :: kphouse 2018@gmail.com कुल  पृष्ठ   : 312        मूल्य : ₹ 795.00  प्रथम संस्करण : 2022 अनुक्रम   भूमिका मैं और मेरी लघुकथाएँ साहित्य तथा रक्तदान को समर्पित - मधुकांत मधुकांत की लघुकथा यात्रा मेरी 21 लघुकथाएँ 1. अंधी दौड़ 2. शुरुआत 3. बुत  4. दोस्त 5. मेरा अध्यापक 6. रोटी के रिश्ते 7. अपना-अपना पेट 8. कुतिया और मां 9. जिंदा वे 10. आदमी बिकता है 11. हराम की कमाई 12. शेर की खाल 13. मौसम 14. मन का आतंक 15. विस्तार 16. लघुकथा की दुकान 17. डी.एन.ए. 18. नरसी का भात 19. विश्वास का पुल 20. नकली नोट 21. सास और मां मधुकांत का व्यापक शैक्षिक अनुभव लघुकथा में विषयगत अभिनव प्रयोग मधुकांत की लघुकथाएँ विषय कम लघुकथाएँ अधिक 'तरकश' में लघुकथाओं के सौ बाण समाहित हैं विद्यालय के समूचे वातावरण के लिए बढ़िया लघुक...

टुकड़े-टुकड़े संवाद-2022/डॉ. सुमन राठी

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लघुकथा-संकलन : टुकड़े-टुकड़े संवाद  संपादक  : डॉ. सुमन राठी ISBN : 978-93-93219-21-3 मूल्य: चार सौ रुपये प्रथम संस्करण : 2022 सर्वाधिकार लेखक प्रकाशक : राइजिंग स्टार्स 600/5-ए, आदर्श मोहल्ला, गली नं० 15 मौजपुर, दिल्ली-110053  चलवार्ता : 9891985727 संपादक की  ' भूमिका ' व्यक्ति के विचारों की अभिव्यक्ति का मुख्य साधन भाषा होती है, जब तक मनुष्य के पास भाषा नहीं होती तब तक वह अपनी चिन्तन व मनन शक्ति को उजागर नहीं कर सकता, उसे अभिव्यक्त नहीं कर सकता। इसी भाषा का सम्भाषण रूप संवाद कहलाता है जिससे व्यक्ति की भावनाओं और विचारों को व्यक्त किया जाता है। अत: कह सकते हैं कि संवाद समान रूप से विचारों का आदान-प्रदान होता है। संवाद मौखिक और लिखित दोनों रूपों में समाहित होते हैं। मौखिक रूप किये गए संवाद संक्षिप्त या सीमित होते हैं जिनका अधिक प्रचार नहीं हो पाता, लेकिन लिखित रूप में संवाद विस्तृत रूपधारण कर लेते हैं, क्योंकि यह केवल एक या दो व्यक्तियों के मध्य ही नहीं रहते, ये तो प्रत्येक पाठक, श्रोता व लेखक के मध्य समाहित होते हैं । संवाद के बिना व्यक्ति सामाजिक प्राणी नहीं बन सकता।...

चिंगारी तथा अन्य लघुकथाएँ-2022/अशोक वर्मा

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लघुकथा-संग्रह  : चिंगारी तथा अन्य लघुकथाएँ कथाकार  : अशोक वर्मा ISBN : 978-81-952133-3-7 प्रथम संस्करण : 2022 प्रकाशक : एस. पी. कौशिक इंटरप्राइजेज जगतपुरी एक्सटेंशन, ए-49 भू-तल, गली नं. 6 दिल्ली -110093 मो. 0-9873620352 Email : spkaushikenterprises@gmail.com मूल्य: 300.00 रुपये अनुक्रम • भूमिका • संवेदनाओं को सघनता से झकझोरतीं : चिंगारी तथा अन्य लघुकथाएँ / हरनाम शर्मा 1. चिंगारी 2. उसकी पींग 3. तुम उदास अच्छे नहीं लगते 4. चौकीदार 5. पीली साड़ी का दर्द 6. रईस 7. गुलफाम 8. दादी के नुस्खे 9. घर निकाला 10. दो जूतों की गुफ़्तगू 11. आज तुम जीत गए हो दोस्त  12. ये ही घर है 13. फैसला 14. व्यावहारिकता 15 तस्वीर की तकदीर 16. वो एक पल 17. योद्धा 18. आँच 19. देश की बेटी 20. ये रात फिर कब आएगी 21. अन्तिम साक्षात्कार 22. चाँद मेरे आ जा रे 23. सेनिटाइज़र 24. तार - बेतार का तीसरा रंग 25. गुरगा 26. तुम यहीं हो 27. मोर 28. मज़बूत दीवार 29. गुल्लक 30. रोज़गार 31. स्वप्न भंग 32. गंध और गंध 33. समझ 34. पूर्ववत् 35. बेंत 36. भीतर का आदमी 37. ही मैन, तुम कहाँ हो 38. धरती घूमती है 39. इस बहाने...